देश की औद्योगिक गतिविधि अक्टूबर में अचानक ठहर-सी गई। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) ग्रोथ जहां सितंबर में 4% थी, वहीं अक्टूबर में यह गिरकर सिर्फ 0.4% रह गई—जो पूरे 14 महीनों का सबसे निचला स्तर है। ब्लूमबर्ग ने 2.5% की ग्रोथ का अनुमान जताया था, लेकिन वास्तविक आंकड़े उससे काफी कम निकले। बिजली उत्पादन और माइनिंग सेक्टर में आई तेज गिरावट ने कुल औद्योगिक आउटपुट को बुरी तरह प्रभावित किया।
सरकार का कहना है कि इस बार दशहरा, दीपावली और छठ एक ही महीने में पड़ने से कामकाजी दिनों की संख्या काफी कम हो गई। यह सीधा असर फैक्ट्रियों के उत्पादन पर दिखाई दिया और ग्रोथ अचानक नीचे आ गई।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की चाल भी सुस्त दिखी। सितंबर के 5.6% की तुलना में अक्टूबर में यह सिर्फ 1.8% रही। लेकिन सबसे बड़ा झटका बिजली उत्पादन से लगा, जो 6.9% गिरा। तीन महीनों की लगातार तेजी के बाद यह पहली बड़ी गिरावट रही। मंत्रालय ने साफ किया कि कई राज्यों में तापमान सामान्य से नीचे चला गया और बारिश अधिक रही, जिससे बिजली की मांग में तेज कमी आई—नतीजतन उत्पादन भी घटा दिया गया।
IIP के अलग-अलग सेक्टर्स के आंकड़े और भी चिंता पैदा करते हैं। प्राइमरी गुड्स –0.6% पर फिसले, इंटरमीडिएट गुड्स 0.9% पर सिमट गए और कंज़्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स तो –4.4% के साथ गहरी गिरावट में पहुंच गए। कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स भी –0.5% पर वापस आ गए, जो सितंबर में 10% की ग्रोथ दिखा रहे थे। कुछ उम्मीद की किरण इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन गुड्स से मिली, जो +7.1% की ग्रोथ पर कायम रहे, हालांकि यह भी सितंबर के 10.6% से कम है।
इन आंकड़ों से साफ है कि अक्टूबर का महीना उद्योगों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा—त्योहारी सीजन में उत्पादन बाधित हुआ, मौसम ने बिजली की मांग घटाई और कई सेक्टर्स में उपभोक्ता मांग कमजोर दिखाई दी। अब विशेषज्ञों की नजर नवंबर और दिसंबर के डेटा पर है, जो यह तय करेगा कि यह गिरावट सिर्फ मौसमी है या फिर औद्योगिक अर्थव्यवस्था के लिए किसी गहरे संकट का संकेत।