14 साल के वैभव सूर्यवंशी का तूफ़ान: 7 चौकों–7 छक्कों की बरसात, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में सबसे कम उम्र में ठोका शानदार शतक

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ईडन गार्डेंस की शाम मंगलवार को एक 14 साल के लड़के ने अपने नाम कर ली। बिहार के युवा ओपनर वैभव सूर्यवंशी ने सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी में ऐसा धमाका किया कि पूरा क्रिकेट जगत चौंक गया। महज़ 14 साल 250 दिन की उम्र में वैभव ने महाराष्ट्र के खिलाफ नाबाद 108 रनों की पारी खेली और टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे युवा शतकवीर बन गए।

बाएं हाथ के वैभव ने यह शतक 58 गेंदों में पूरा किया और खास बात यह रही कि 20वें ओवर की पहली ही गेंद पर उन्होंने छक्का लगाते हुए शतक का आंकड़ा छुआ। महाराष्ट्र के गेंदबाज़ अर्शिन की गेंद पर आया यह छक्का सिर्फ उनके शतक की मुहर ही नहीं था, बल्कि क्रिकेट जगत में उनका नाम दर्ज कराने वाला शॉट भी बन गया। उनकी पूरी पारी में 7 चौके और 7 शानदार छक्के शामिल थे—पूरी तरह से मैच को अपने अंदाज़ में ढालते हुए।

इससे पहले SMAT में सबसे कम उम्र में शतक लगाने का रिकॉर्ड विजय ज़ोल के नाम था, जिन्होंने 18 साल की उम्र में यह काम किया था। लेकिन वैभव ने इस उपलब्धि को लगभग चार साल पहले ही हासिल कर लिया। हाल ही में चर्चा में रहे मुंबई के युवा बल्लेबाज़ आयुष म्हात्रे भी इस सूची में हैं, लेकिन वैभव की उम्र उनसे काफी कम है।

बिहार की टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 176/3 का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया, जिसमें वैभव की पारी टीम की रीढ़ साबित हुई। उनके साथ मध्यक्रम के बल्लेबाज़ आयुष लोहारुका ने भी महत्वपूर्ण 25 रन जोड़ते हुए चौथे विकेट के लिए 75 रनों की उपयोगी साझेदारी की। महाराष्ट्र की ओर से अर्शिन, राजवर्धन और विक्की ने एक-एक विकेट जरूर चटकाए, लेकिन वैभव की आक्रामक बल्लेबाज़ी से गेंदबाज़ों की रणनीति बिखर गई।

दिलचस्प बात यह है कि टूर्नामेंट के शुरुआती तीन मैचों में वैभव का प्रदर्शन बेहद सामान्य रहा था—चंडीगढ़ के खिलाफ 14 रन, मध्य प्रदेश के विरुद्ध 13 और जम्मू-कश्मीर के खिलाफ महज़ 5 रन। दबाव बढ़ रहा था, लेकिन चौथे मैच में उन्होंने जिस अंदाज़ में वापसी की, उससे यह साफ हो गया कि बड़े खिलाड़ी दबाव में ही चमकते हैं।

सिर्फ 14 साल की उम्र में वैभव बिहार टीम के उप-कप्तान हैं। इसी महीने दुबई में होने वाले अंडर-19 एशिया कप में वे भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं। साथ ही वे राजस्थान रॉयल्स के लिए आईपीएल में भी खेल चुके हैं। यह शतक उनके करियर का सबसे बड़ा मोड़ माना जा रहा है, जो आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट के लिए नई उम्मीद जगाता है।

वैभव सूर्यवंशी की यह पारी सिर्फ एक शतक नहीं, बल्कि एक घोषणा है—ये बच्चा नहीं, भविष्य का स्टार है।

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