गाड़ीबांध जिले के राजीव लोचन महाविद्यालय में जेम पोर्टल के जरिए की गई खरीदी में सामने आए भ्रष्टाचार ने पूरे उच्च शिक्षा विभाग को हिला कर रख दिया है। इसी मामले में गंभीरता बरतते हुए विभाग ने कॉलेज की प्राचार्य डॉ. सविता मिश्रा, सहायक प्राध्यापक डॉ. मोहन लाल वर्मा, सहायक प्राध्यापक देवेन्द्र देवांगन और सहायक प्राध्यापक मनीषा भोई को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। आदेश मंत्रालय, रायपुर से जारी हुआ और निलंबन अवधि के दौरान इनका मुख्यालय क्षेत्रीय अपर संचालक कार्यालय, रायपुर निर्धारित किया गया है।
उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि जेम पोर्टल से सामग्री की क्रय प्रक्रिया में इन कर्मचारियों ने छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया। खरीद प्रक्रिया में भारी आर्थिक अनियमितताओं के संकेत मिले हैं, जिनमें लाखों रुपये के ऑर्डर बिना उचित नियमों और पारदर्शिता के दिए जाने की बात उजागर हुई है। आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन ने पसंदीदा लोगों को बिना निविदा जारी किए कार्य सौंपे और जेम पोर्टल का दुरुपयोग करके सरकारी धन का नुकसान किया गया।
जांच के लिए गठित समिति के संयोजक के रूप में अपर संचालक—उच्च शिक्षा संचालनालय, डॉ. किशोर कुमार तिवारी को नियुक्त किया गया है। बताया जा रहा है कि लगभग 2 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितताओं की जांच हो रही है। केवल 10 कंप्यूटर की खरीदी में ही संदिग्ध गड़बड़ी सामने आई है, जो पूरे मामले को और गंभीर बनाती है।
यह भ्रष्टाचार सिर्फ एक कॉलेज तक सीमित नहीं है। जांच टीम अब उन शिक्षण संस्थानों पर भी नजर रख रही है जहां इसी तरह की अनियमितता के संकेत मिले हैं। बिलासपुर स्थित अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में 1 करोड़ के टेंडर में गड़बड़ियों का आरोप है। वहीं शासकीय कॉलेज महासमुंद द्वारा अलग-अलग 36 कार्य आदेश जारी कर 1 करोड़ रुपये के लेन-देन में अनियमितता की बात सामने आई है। नारायणपुर के वीरांगना रमोतीन गवर्नमेंट मॉडल कॉलेज पर भी एक ही फर्म को 35 लाख रुपये का काम देने का आरोप दर्ज हुआ है।
पूरे प्रकरण में जो तस्वीर उभरकर सामने आई है, वह यह कि राज्य के कई संस्थानों में जेम पोर्टल के नाम पर पारदर्शिता की जगह मनमर्जी और पक्षपात हावी रहा। करोड़ों रुपये की खरीदी नियमों को ताक पर रखकर की गई और सरकारी धन का मनचाहे तरीके से इस्तेमाल हुआ।
अब विभाग की जांच तेज है और निलंबन की यह कार्रवाई शुरुआत माना जा रहा है। आने वाले दिनों में और भी नाम सामने आ सकते हैं और संभव है कि यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ की उच्च शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार की एक बड़ी परत को उजागर कर दे।