भारत बनाएगा दुनिया का सबसे लंबा ई-हाईवे—हर 50 किमी पर होगा ग्रिड-फ्री EV चार्जिंग हब, हवा-सूरज-हाइड्रोजन से मिलेगी पावर

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देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ सबसे बड़ी दिक्कत हमेशा से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की रही है। इसी समस्या का स्थायी समाधान देने के लिए नेशनल हाईवे फॉर ईवी (NHEV) अब एक ऐसा प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है जो भारत के ई-हाईवे नेटवर्क को दुनिया में सबसे आगे खड़ा कर देगा। दिल्ली–गुरुग्राम–जयपुर हाईवे और दिल्ली–आगरा कॉरिडोर पर हर 50 किमी पर 3G एनर्जी स्टेशन बनाए जाएंगे, जो पूरी तरह ग्रिड-फ्री होंगे। इन स्टेशनों पर बिजली सीधे सोलर, विंड, हाइड्रोजन और बैटरी स्टोरेज से पैदा की जाएगी, यानी चार्जिंग के लिए किसी भी तरह की पारंपरिक ग्रिड बिजली की जरूरत नहीं होगी।

इन 3G चार्जिंग स्टेशनों पर 200 kW से 500 kW तक के अल्ट्रा-फास्ट चार्जर लगाए जा रहे हैं, जिनसे इलेक्ट्रिक कारें मात्र 30 मिनट से कम समय में 100–200 किमी की रेंज हासिल कर सकेंगी। यह प्रोजेक्ट 5 दिसंबर को गुरुग्राम के ग्वाल पहाड़ी स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी में होने वाली NHEV की 7वीं वर्किंग कमेटी मीटिंग में अंतिम रूप लेगा।

दिल्ली–गुरुग्राम–जयपुर कॉरिडोर को पहले ही भारत का पहला NHEV घोषित किया जा चुका है। अब योजना यह है कि इंडिया गेट से अलबर्ट हॉल जयपुर तक 280 किमी के पूरे हाईवे पर दोनों तरफ हर 50 किमी पर मेगा चार्जिंग हब बनाए जाएं। इसके बाद दिल्ली–आगरा कॉरिडोर जुड़ते ही यह रूट 500 किमी का ई-हाईवे बन जाएगा।

3G चार्जिंग स्टेशन क्या हैं?

ये स्टेशन तीन बड़े सिद्धांतों पर आधारित हैं:

ग्रीन एनर्जी: स्टेशन पूरी तरह 100% नवीकरणीय ऊर्जा पर चलेंगे। कोई ग्रिड कनेक्शन नहीं होगा। हर स्टेशन सालाना लगभग 8,000 टन CO₂ बचाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि हाईवे पर चलने वाली ईवी पूरी तरह वास्तविक जीरो-एमिशन वाहन बन जाएगी।

गिगानटिक पावर सिस्टम: हर स्टेशन में 3.2 MW की भारी क्षमता होगी। 60–120 kW के तेज़ चार्जर, बस–ट्रक के लिए 600 kW पैंटोग्राफ, वायरलेस चार्जिंग पैड, बैटरी स्वैप और हाइड्रोजन डिस्पेंसर सब एक ही जगह उपलब्ध होंगे। 800 kWh के चार सब-स्टेशन मिलकर 3,200 kWh तक बिजली पैदा करेंगे, जिससे एक साथ 300 कारें या 50 बस–ट्रक चार्ज हो सकेंगे।

जेनरेशन नेक्स्ट टेक्नोलॉजी: ये स्टेशन 5G नेटवर्क, AI-बेस्ड लोड मैनेजमेंट और जियो-रूट प्लानिंग से लैस होंगे। वाहन खुद बताएगा कि अगला स्टेशन कितनी दूरी पर है, कितना चार्ज बचा है और कितनी देर रुकना होगा। 2047 तक इन सभी स्टेशनों को 6.4 MW क्षमता वाले 5G सुपर-स्टेशनों में अपग्रेड किया जाएगा।

पर्यटन और लॉजिस्टिक्स को मिलेगा बूस्ट

ई-हाईवे बनने के बाद इलेक्ट्रिक टैक्सी, ई-बसेस और इलेक्ट्रिक ट्रक बेझिझक लंबी दूरी की यात्रा कर सकेंगे। लोग अब तक सिर्फ इसलिए पेट्रोल–डीजल वाहनों को प्राथमिकता देते थे क्योंकि चार्जिंग स्टेशन मिलने की गारंटी नहीं होती थी। हर 50 किमी पर चार्जिंग की सुविधा मिलते ही यह डर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।

लॉजिस्टिक्स कंपनियां भी ई-ट्रक उतारने की तैयारी में जुट गई हैं। यह प्रोजेक्ट सरकार के Ease of Doing Business कार्यक्रम का हिस्सा है और भारत के हाईवे नेटवर्क को नई दिशा देगा।

गुरुग्राम—देश के सबसे बड़े EV चार्जिंग स्टेशनों का हब

NHEV का पहला प्रोटोटाइप 2022 में गुरुग्राम में तैयार हुआ था, जिसमें 100 चार्जिंग पॉइंट्स हैं। सेक्टर 86 में बना दूसरा स्टेशन 121 पॉइंट्स वाला है और रोज़ 1,000 ईवी यहां चार्ज होती हैं। दोनों स्टेशन 72% उपयोग पर चल रहे हैं और इन्हें भी 3G टेक्नोलॉजी में अपग्रेड किया जाएगा।

भारत का ई-हाईवे बनेगा दुनिया का सबसे लंबा

अभी दुनिया में सबसे लंबा ई-हाईवे जर्मनी के बर्लिन में 109 किमी लंबा है। लेकिन दिल्ली–गुरुग्राम–जयपुर का ई-हाईवे तैयार होते ही यह रिकॉर्ड टूट जाएगा। 280 किमी की यह रूट लंबाई बाद में आगरा जोड़ने पर 500 किमी लंबा हो जाएगा, जो दुनिया का सबसे बड़ा ई-मोबिलिटी कॉरिडोर होगा।

भारत का यह प्रोजेक्ट सिर्फ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बना रहा, बल्कि आने वाले दशक में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का वैश्विक मानक तय कर रहा है।

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