IND vs SA—ओपनिंग छोड़कर नंबर-4 पर उतरने का फैसला किसका था? ऋतुराज गायकवाड़ ने खोला पूरा राज़

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दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे वनडे में ऋतुराज गायकवाड़ ने नंबर-4 पर उतरकर शतक जड़ते ही सबका ध्यान खींच लिया। यह वही बल्लेबाज़ हैं जो अब तक 50 ओवर के फॉर्मेट में कभी भी नंबर 3 से नीचे नहीं खेले थे। लिस्ट-ए क्रिकेट के 86 मैचों में पहली बार उन्हें मध्यक्रम में उतारा गया, और उन्होंने इस भूमिका को इतने आत्मविश्वास से निभाया कि उनकी पारी आते ही मैच का रुख बदल गया। रायपुर में विराट कोहली के साथ उनकी 195 रन की साझेदारी और 105 रन की बेमिसाल पारी ने भारतीय बैटिंग लाइनअप की गहराई को एक नई मजबूती दी।

गायकवाड़ ने मैच के बाद खुलासा किया कि यह बदलाव अचानक नहीं था। उन्होंने बताया कि टीम मैनेजमेंट ने सीरीज़ शुरू होने से पहले ही उनसे कह दिया था कि इस बार वे नंबर-4 पर बल्लेबाज़ी करेंगे। एक ओपनर से नई भूमिका निभाने की उम्मीद करना और उस पर भरोसा जताना—इस बात को उन्होंने अपने लिए गर्व और चुनौती दोनों बताया। उनका कहना था कि उन्हें पहले से पता था कि 11वें से 40वें ओवर के बीच कैसे पारी को आगे बढ़ाना है, कैसे स्ट्राइक रोटेट करनी है और इनिंग को गहराई तक ले जाना है। इसलिए बदलाव बड़ा जरूर था, लेकिन मानसिक तैयारी पूरी थी।

उन्होंने माना कि शुरुआती 10–15 गेंदें सबसे मुश्किल थीं, लेकिन जैसे ही लय मिली, उनकी बैटिंग खुलकर सामने आने लगी। विराट कोहली के साथ साझेदारी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे पिछले एक हफ्ते से नेट्स में कोहली को बैटिंग करते देख रहे थे—चाहे टाइमिंग हो या शॉट चयन, सब कुछ गजब का। साझेदारी के दौरान दोनों की बातचीत बेहद सरल थी—हर 5 से 10 रन का छोटा लक्ष्य, गैप्स तलाशना और सिंगल-डबल से स्ट्राइक रोटेशन बनाए रखना। गायकवाड़ के शब्दों में, “ऐसी साझेदारियां वो पल हैं जिन्हें आप सपने में देखते हैं।”

2023 के बाद यह उनका पहला वनडे था, और भारतीय टीम में ओपनिंग स्लॉट पहले ही रोहित शर्मा, शुभमन गिल और यशस्वी जेसवाल जैसे बल्लेबाजों से भरा हुआ है। श्रेयस अय्यर की चोट ने ही गायकवाड़ को यह अवसर दिया। इस पर उन्होंने बेहद संतुलित प्रतिक्रिया दी—उन्होंने कहा कि अगर कोई खिलाड़ी इन सब चीज़ों पर ज़्यादा सोचना शुरू कर दे, तो वह वर्तमान पर ध्यान ही नहीं दे पाएगा। उनका मानना है कि हर मैच, चाहे क्लब का हो या अंतरराष्ट्रीय, उनकी जिम्मेदारी सिर्फ रन बनाना है। मौका मिलेगा तो अच्छा है, नहीं मिलेगा तो भी वे लगातार अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करते रहेंगे।

ऋतुराज का यह शतक इस बात का प्रमाण है कि भारतीय टीम मैनेजमेंट का निर्णय बल्लेबाज़ी क्रम में नए प्रयोगों को लेकर कितना सोच-समझकर लिया गया था—और गायकवाड़ ने इस विश्वास को शानदार प्रदर्शन में बदल दिया।

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