सागर, मध्य प्रदेश का सिर्फ तीन साल, सात महीने और 20 दिन का नन्हा सर्वज्ञ सिंह कुशवाहा वह कर दिखाता है, जिसकी कल्पना बड़े-बड़े कोच भी नहीं कर पाते। यह छोटा बच्चा दुनिया का सबसे कम उम्र में फिडे रेटिंग हासिल करने वाला चेस खिलाड़ी बन गया है। उसकी यह ऐतिहासिक उपलब्धि पिछले रिकॉर्ड धारक अनीष सरकार से भी आगे निकल गई, जिन्होंने 3 साल 8 महीने 19 दिन की उम्र में यह मुकाम हासिल किया था। स्कूल की नर्सरी क्लास में पढ़ने वाला सर्वज्ञ अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व बुद्धि और शतरंज की अद्भुत समझ रखता है—रैपिड रेटिंग 1572 इसका प्रमाण है।
सर्वज्ञ के पिता सिद्धार्थ सिंह ने जब बेटे की असाधारण स्मरण शक्ति और तेज़ सीखने की क्षमता देखी, तो उन्होंने उसे शतरंज की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित किया। परिणाम यह हुआ कि सिर्फ एक हफ्ते में यह बच्चा सभी मोहरों के नाम, चालें और उनके कॉम्बिनेशन तक बिना गलती के सीख गया। यह कमाल की एकाग्रता और धैर्य उसकी उम्र के बच्चों में मिलना लगभग असंभव है, लेकिन सर्वज्ञ के भीतर यह स्वाभाविक रूप से मौजूद है।
प्रैक्टिस का उसका तरीका भी बड़े खिलाड़ियों को मात देता है। रोज़ाना चार से पांच घंटे का अभ्यास, एक घंटा स्थानीय ट्रेनिंग सेंटर में सीखना और बाकी समय ऑनलाइन वीडियो देखकर तकनीकें समझना—यह रूटीन किसी अनुभवी खिलाड़ी का लगता है, मगर इसे निभाता एक तीन साल का बच्चा। रात में उठकर घंटों खेलते रहना भी उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं।
कोच नितिन चौरसिया बताते हैं कि शुरुआत में उसे ट्रेनिंग देना चुनौतीपूर्ण था। हल्की-सी डांट पर भी वह रो पड़ता था। तब उन्होंने एक अनोखा तरीका अपनाया—हर सही चाल पर टॉफी और चिप्स का इनाम। बस फिर क्या था, सर्वज्ञ का ध्यान खेल में और उसकी सटीक चालों में लगातार बढ़ता चला गया। घड़ी दबाने का उसका अंदाज बताता है कि वह प्रतिद्वंद्वी को पलभर भी सहज नहीं होने देता—यह मानसिक खेल की शुरुआती समझ का भी संकेत है।
फिडे के नियम कहते हैं कि रेटिंग पाने के लिए किसी खिलाड़ी को कम से कम एक रेटेड खिलाड़ी को हराना जरूरी है। लेकिन सर्वज्ञ ने सिर्फ नियम नहीं पूरे किए, उसने उन्हें पार कर दिया—एक नहीं बल्कि तीन रेटेड खिलाड़ियों को मात देकर। मंगलुरु में 22 वर्षीय अभिजीत अवस्थी को, खंडवा में शुभम चौरसिया को, इंदौर में योगेश नामदेव को और छिंदवाड़ा में फिर अभिजीत को हराते हुए उसने यह रिकॉर्ड पक्का किया।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिस उम्र में दुनिया के बड़े दिग्गजों ने खेलना शुरू भी नहीं किया था, उसी उम्र में सर्वज्ञ फिडे रेटिंग हासिल कर चुका है। विश्व नंबर-1 मैग्नस कार्लसन ने पांच साल की उम्र में मोहरे छूने शुरू किए थे, पांच बार के विश्व विजेता विश्वनाथन आनंद ने छह साल में, और भारत के मौजूदा वर्ल्ड चैम्पियन डी. गुकेश ने सात साल में। जबकि सर्वज्ञ ने उनसे कई साल पहले ही वह उपलब्धि छू ली है, जिसे हासिल करने में कई खिलाड़ियों को पूरा बचपन लग जाता है।
इतनी छोटी उम्र में यह उपलब्धि सिर्फ रिकॉर्ड नहीं, बल्कि उस प्रतिभा की झलक है जो आने वाले समय में भारतीय शतरंज को एक नई दिशा दे सकती है।