सिमोन टाटा का निधन—स्विट्जरलैंड से भारत आईं, टाटा परिवार को जोड़ा और लेक्मे को ग्लोबल ब्रांड बनाया

Spread the love

टाटा समूह की प्रतिष्ठित हस्ती और रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन दुनोयर टाटा अब हमारे बीच नहीं रहीं। 95 वर्ष की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। स्विट्जरलैंड में जन्मीं सिमोन टाटा सिर्फ टाटा परिवार का हिस्सा ही नहीं थीं—बल्कि भारत के ब्यूटी और रिटेल सेक्टर को नई दिशा देने वाली एक दूरदर्शी व्यवसायिक नेता भी थीं।

1953 में भारत घूमने आईं सिमोन टाटा को यह देश इतना पसंद आया कि 1955 में उन्होंने जेआरडी टाटा के सौतेले भाई नवल टाटा से विवाह किया। नवल टाटा की पहली पत्नी से रतन और जिमी टाटा थे, लेकिन सिमोन ने पूरे परिवार को एक सूत्र में बाँधे रखा। उनके बेटे नोएल टाटा आज टाटा ट्रस्ट्स और हिंदुस्तान यूनिलीवर में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभा रहे हैं।

सिमोन की असली पहचान 1960 के दशक में शुरू हुई जब वे टाटा ऑयल मिल्स कंपनी की सब्सिडियरी लेक्मे के बोर्ड में शामिल हुईं। तब लेक्मे एक छोटा-सा ब्रांड था, जो मुख्यतः बुनियादी साबुन उत्पाद बनाता था। लेकिन सिमोन को इसमें वह संभावना दिखी जो और किसी ने नहीं देखी थी—उन्होंने भारतीय महिलाओं की जरूरतों के अनुरूप एक घरेलू कॉस्मेटिक ब्रांड बनाने की नींव रखी।

1982 में जब वे लेक्मे की चेयरपर्सन बनीं, तो कंपनी ने तेजी से विस्तार शुरू किया। उनके नेतृत्व में लेक्मे भारत का पहला बड़ा घरेलू ब्यूटी ब्रांड बना, जिसने भारतीय स्किन टोन और हेयर टेक्सचर के लिए स्पेशल प्रोडक्ट्स तैयार किए। 1996 में लेक्मे और HUL के बीच 50:50 जॉइंट वेंचर बना और 1998 में लेक्मे ने अपना स्टेक HUL को 200 करोड़ रुपये में बेच दिया। यह भारतीय ब्यूटी उद्योग के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

लेक्मे को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के बाद सिमोन ने अपनी दृष्टि रिटेल की ओर मोड़ दी। 1998 में उन्होंने ब्रिटेन की लिटिलवुड्स इंटरनेशनल (इंडिया) का अधिग्रहण कराया, जो रेडी-टू-वियर गारमेंट्स बेचती थी। इसी अधिग्रहण से ट्रेंट लिमिटेड की शुरुआत हुई। लेक्मे लिमिटेड का नाम बदलकर ट्रेंट किया गया और आज ट्रेंट देशभर में वेस्टसाइड, जुडियो और कई सफल रिटेल फॉर्मेट्स चला रहा है। इसके चेयरमैन उनके बेटे नोएल टाटा हैं।

सिमोन टाटा को भारत की “कॉस्मेटिक्स ज़रीना” कहा जाता है—क्योंकि उन्होंने भारतीय महिलाओं के लिए एक ऐसा ब्रांड खड़ा किया जो वैश्विक कंपनियों के बीच वर्षों तक मजबूती से खड़ा रहा। इसके साथ ही वे भारत के रिटेल सेक्टर में भी क्रांति लाने में अग्रणी रहीं।

टाटा समूह में उनकी उपस्थिति ने न सिर्फ परिवार को एकजुट रखा, बल्कि भारतीय उद्योग को भी नई ऊँचाइयाँ दीं। उनका जाना टाटा परिवार, भारतीय इंडस्ट्री और उन हजारों महिलाओं के लिए बड़ी क्षति है जिनकी जिंदगी में लेक्मे और ट्रेंट जैसे ब्रांडों ने बदलाव लाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *