आने वाले दिनों में घर, गाड़ी या किसी भी बड़े लोन की EMI हल्की होने वाली है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती करते हुए इसे 5.25% कर दिया है। यह फैसला मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की 3 से 5 दिसंबर तक हुई बैठक में लिया गया। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 5 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की।
रेपो रेट, यानी वह ब्याज दर जिस पर बैंक RBI से कर्ज लेते हैं—जैसे ही यह घटता है, बैंकों को सस्ता लोन मिलता है और वे मौजूदा व नए ग्राहकों को भी कम ब्याज पर लोन देते हैं। इसी वजह से होम, ऑटो और अन्य रिटेल लोन की EMI आने वाले समय में कम हो जाएगी।
इस बार की कटौती का असर साफ दिख रहा है—
• 20 लाख के लोन पर EMI लगभग ₹310 महीने घटेगी।
• 20 साल में कुल बचत लगभग ₹74,000 के आसपास होगी।
• 30 लाख के लोन पर EMI करीब ₹465 तक कम हो सकती है।
ये फायदा केवल नए ग्राहकों को ही नहीं, बल्कि पहले से लोन ले चुके लोगों को भी मिलेगा, बशर्ते उनका लोन फ्लोटिंग रेट पर हो।
रेपो रेट घटने से हाउसिंग मार्केट में आएगी रौनक
जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो लोग घर खरीदने के लिए अधिक उत्साहित होते हैं। EMI भी कम हो जाती है और होम लोन ज्यादा किफायती हो जाता है। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में मांग बढ़ती है, नए प्रोजेक्ट्स को गति मिलती है और अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलता है।
इस साल चौथी बार घटी रेपो रेट—कुल 1.25% की कटौती
2024–25 में RBI ने चार बार रेपो रेट में कमी की—
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फरवरी: 6.5% → 6.25%
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अप्रैल: 0.25% की और कटौती
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जून: 0.50% की कटौती
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दिसंबर: 0.25% की कटौती
कुल मिलाकर इस साल रेपो रेट 1.25% घट चुका है। यह संकेत है कि RBI वर्तमान में आर्थिक गतिविधियों को तेज़ करने और बाजार में मनी फ्लो बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
रेपो रेट घटता है तो लोन कैसे सस्ता हो जाता है?
RBI जब रेपो रेट घटाता है, तो बैंक को सस्ते में पैसा मिलता है। बैंक इस लाभ को ग्राहकों तक पहुंचाते हुए अपनी ब्याज दरें कम करते हैं। इससे—
• EMI कम होती है
• लोन की कुल लागत घटती है
• बाजार में पैसा बढ़ता है
इसीलिए रेपो रेट में कटौती को आम नागरिक से लेकर उद्योग जगत तक सभी सकारात्मक रूप से देखते हैं।
RBI रेपो रेट बदलता क्यों है?
यह महंगाई और अर्थव्यवस्था को संतुलित रखने का सबसे महत्वपूर्ण टूल है।
जब महंगाई बढ़ती है—
• RBI रेपो रेट बढ़ाता है
• लोन महँगे होते हैं
• खर्च और डिमांड कम होती है
• महंगाई नीचे आती है
जब अर्थव्यवस्था धीमी पड़ती है—
• RBI रेपो रेट घटाता है
• लोन सस्ते होते हैं
• खर्च बढ़ता है
• आर्थिक गतिविधियाँ तेज होती हैं
हर दो महीने होता है फैसला
MPC में कुल 6 सदस्य हैं—3 RBI के और 3 केंद्र द्वारा नियुक्त। यह समिति हर दो महीने बैठक कर ब्याज दरों पर फैसला देती है। वित्त वर्ष 2025–26 का पूरा शेड्यूल पहले ही जारी किया जा चुका है।
नतीजा यह कि आने वाले समय में लोन सस्ते होंगे, EMI कम होने लगेगी और रियल एस्टेट से लेकर ऑटो सेक्टर तक आर्थिक गतिविधियाँ तेजी पकड़ेंगी।