भोपाल मेट्रो को CMRS की मंजूरी—ऑरेंज लाइन संचालन के करीब, लोकार्पण को लेकर सस्पेंस; पार्किंग और टिकटिंग बनी बड़ी चुनौती

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भोपाल मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर को आखिरकार कमिश्नर ऑफ मेट्रो रेल सेफ्टी (CMRS) की हरी झंडी मिल गई है, जिसके बाद शहर में मेट्रो सेवा शुरू होने की उम्मीद और मजबूत हो गई है। छह किमी से अधिक लंबे इस ऑरेंज लाइन कॉरिडोर में आठ स्टेशन शामिल हैं—सुभाष नगर, केंद्रीय विद्यालय, डीबी मॉल, एमपी नगर, रानी कमलापति, डीआरएम तिराहा, अलकापुरी और एम्स। मेट्रो अपने पहले व्यावसायिक संचालन के लिए लगभग तैयार है, लेकिन कई व्यावहारिक चुनौतियाँ सामने खड़ी हैं।

सबसे बड़ी समस्या है—पार्किंग सुविधा का अभाव।
इन सभी स्टेशनों पर वाहन पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। मेट्रो कॉर्पोरेशन ने स्टेशनों को ‘ड्रॉप एंड गो’ मॉडल पर विकसित किया है—जहाँ केवल उतरने और चढ़ने की सुविधा होगी। कार या दोपहिया से स्टेशन आने वाले यात्रियों को अपने वाहन खड़े करने के लिए कोई स्थान उपलब्ध नहीं होगा। इससे शुरुआत में मेट्रो का उपयोग केवल वही लोग कर पाएंगे जो पहले से उपलब्ध सार्वजनिक या निजी परिवहन साधनों से स्टेशन तक पहुँच सकेंगे।

मेट्रो कॉर्पोरेशन फिलहाल स्टेशनों के नीचे बनने वाले कमर्शियल आउटलेट्स और दुकानों पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है। इसी वजह से पार्किंग स्पेस को प्राथमिकता नहीं दी गई। हालांकि अधिकारी वैकल्पिक पार्किंग समाधान ढूँढने की बात कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट योजना सामने नहीं आई है।

लोकार्पण को लेकर अभी भी संशय

मेट्रो सेवाओं के औपचारिक शुभारंभ की तारीख को लेकर स्थिति अभी अस्पष्ट है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसी महीने कमर्शियल रन शुरू हो सकता है, लेकिन 13 दिसंबर से इसकी शुरुआत की संभावना अब बहुत कम है। तैयारियों का समय भी बेहद सीमित है।

ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल मेट्रो का वर्चुअल उद्घाटन कर सकते हैं, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने मई में इंदौर मेट्रो का लोकार्पण किया था। हालांकि पीएम खुद भोपाल आएंगे या ऑनलाइन उद्घाटन करेंगे—इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

टिकटिंग सिस्टम भी बना सिरदर्द

मेट्रो की एक और बड़ी चुनौती है—स्वचालित टिकटिंग सिस्टम की कमी।
तुर्किए की कंपनी के साथ किया गया ऑटोमैटिक टिकटिंग सिस्टम का ठेका रद्द कर दिया गया है। नई कंपनी को जिम्मेदारी मिलने तक भोपाल मेट्रो को मैनुअल टिकटिंग पर निर्भर रहना पड़ेगा—बिलकुल इंदौर की तरह। इससे भीड़ और समय प्रबंधन पर असर पड़ने की आशंका है।

स्टेशनों पर कुछ निर्माण कार्य अभी बाकी हैं, लेकिन अधिकारियों के अनुसार यह संचालन में बाधा नहीं डालेगा।

कुल मिलाकर, भोपाल मेट्रो अपने पहले चरण के संचालन के बिल्कुल करीब है, लेकिन पार्किंग, टिकटिंग और उद्घाटन की अनिश्चितता जैसी समस्याएँ इसके सुचारू शुरूआती अनुभव पर प्रभाव डाल सकती हैं। शहरवासी मेट्रो को लेकर उत्साहित हैं—अब नज़र सिर्फ अंतिम घोषणा और परिचालन तिथि पर टिकी है।

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