FIFA वर्ल्ड कप 2026 के ग्रुप घोषित: अर्जेंटीना ग्रुप-जे में, मेक्सिको–साउथ अफ्रीका ओपनर खेलेगा; 19 जुलाई को होगा महामुकाबले का फाइनल

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अगले साल फुटबॉल का सबसे बड़ा महोत्सव तीन देशों—अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको—की संयुक्त मेजबानी में होने जा रहा है। 11 जून से 19 जुलाई तक चलने वाले इस वर्ल्ड कप की तैयारियों को शुक्रवार देर रात तब नई दिशा मिली, जब वॉशिंगटन डीसी में आयोजित ड्रॉ सेरेमनी में 48 टीमों को 12 ग्रुप्स में बांटा गया। यह वह ऐतिहासिक क्षण था, जिसमें टूर्नामेंट का पूरा ढांचा दुनिया के सामने आया और हर फुटबॉल प्रेमी की धड़कनें तेज़ हो गईं। यह वर्ल्ड कप का 23वां संस्करण होगा और मुकाबले 16 शहरों में खेले जाएंगे—एक ऐसा आयोजन, जिसका पैमाना अब तक का सबसे बड़ा साबित होने जा रहा है।

इस बार ओपनिंग मैच भी बेहद खास रहने वाला है। 11 जून 2026 को मेक्सिको सिटी में मेजबान मेक्सिको और साउथ अफ्रीका आमने–सामने होंगे और इसी मुकाबले से टूर्नामेंट की चिंगारी भड़केगी। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि तीन देशों द्वारा संयुक्त मेजबानी का यह पहला अवसर है, जिसने वर्ल्ड कप को भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से और विशाल बना दिया है।

ड्रॉ सेरेमनी में एक और अप्रत्याशित पल देखने को मिला, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को फीफा का पहला ‘पीस प्राइज’ दिया गया। फीफा ने नवंबर में इस नए वार्षिक सम्मान की घोषणा की थी, और ट्रम्प इसके पहले विजेता बने। ड्रॉ समारोह का यह राजनीतिक–खेल मिश्रित दृश्य चर्चा का बड़ा विषय बन गया।

अब बात ग्रुपिंग की। डिफेंडिंग चैंपियन अर्जेंटीना को ग्रुप–जे में जगह दी गई है, जबकि स्पेन ग्रुप–एच में, फ्रांस ग्रुप–आई में, जर्मनी ग्रुप–ई में, पुर्तगाल ग्रुप–के में और इंग्लैंड ग्रुप–एल में शामिल है। खास बात यह है कि एच, आई, जे, के और एल—इन पांच ग्रुपों को विशेषज्ञ ‘ग्रुप ऑफ डेथ’ के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि इनमें शक्तिशाली टीमों की भरमार है। स्पेन के ग्रुप में उरुग्वे और सऊदी अरब जैसी टीमें मौजूद हैं, जिन्होंने पिछले वर्ल्ड कप में कई उलटफेर किए थे। फ्रांस के ग्रुप में सेनेगल और नॉर्वे जैसी टैक्टिकल और फिजिकल क्षमता वाली टीमों का होना भी मुकाबलों को बेहद दिलचस्प बनाता है।

अभी छह और टीमों को जगह मिलनी बाकी है, जो मार्च 2026 में होने वाले यूरोप और इंटरकॉन्टिनेंटल प्लेऑफ के बाद तय होंगी। यानी वर्ल्ड कप की अंतिम तस्वीर देखने के लिए दुनिया को अभी कुछ और महीनों का इंतज़ार रहेगा।

इस बार नॉकआउट स्टेज की संरचना भी पूरी तरह बदल गई है। पहली बार 48 टीमों की भागीदारी के कारण हर ग्रुप से सिर्फ शीर्ष दो ही नहीं, बल्कि सबसे बेहतर आठ तीसरे स्थान की टीमें भी प्री-क्वार्टर (राउंड ऑफ 32) में जगह पाएंगी। नॉकआउट राउंड अब 16 की जगह सीधे 32 टीमों का होगा। इसका मतलब यह है कि जो टीम ट्रॉफी उठाएगी, उसे अब 7 नहीं बल्कि 8 मैच खेलने होंगे—एक लंबा, थका देने वाला, लेकिन और भी रोमांचक सफर।

ड्रॉ के इस संस्करण में इतिहास कई स्तरों पर लिखा गया है—पहले 32 टीमों के मुकाबले अब 48 टीमें हिस्सा ले रही हैं, इसलिए कुल 64 देशों को इस प्रक्रिया में शामिल होना पड़ा, जिनमें 22 टीमें अभी प्लेऑफ में अपने भविष्य की लड़ाई लड़ रही हैं। मैचों की संख्या बढ़कर 104 हो गई है, और पहली बार फाइनल में हाफटाइम शो भी जोड़ा जाएगा, जो वर्ल्ड कप को और अधिक मनोरंजक वैश्विक आयोजन बना देगा।

इस बार चार नई टीमें—केप वेर्डे, कुराकाओ, जॉर्डन और उज्बेकिस्तान—पहली बार वर्ल्ड कप के मंच पर उतरेंगी। हैती 1974 के बाद लौटा है, जबकि ऑस्ट्रिया, नॉर्वे और स्कॉटलैंड भी 1998 के बाद फिर मैदान में दिखाई देंगे। कई प्लेऑफ टीमें जैसे अल्बानिया, कोसोवो, न्यू कैलिडोनिया और सूरीनाम भी इतिहास रचने के बेहतर मौके के साथ दौड़ में शामिल हैं।

FIFA वर्ल्ड कप 2026 सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि फुटबॉल की दुनिया में आने वाला एक नया युग है—जहां बड़ा मंच, बड़ा फॉर्मेट और बड़ी उम्मीदें एक साथ जुड़कर दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल को एक नए आयाम की ओर ले जा रही हैं।

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