स्पिन किया हुआ वर्ज़न — प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज की ऐतिहासिक बाइक रैली, राजधानी रायपुर कल बन जाएगी सतनाममयी

Spread the love

राजधानी रायपुर 7 दिसंबर को एक अनोखे और भव्य आयोजन की गवाह बनेगी। प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज महिला इकाई गुरु घासीदास जयंती के उपलक्ष्य में ऐसी बाइक रैली निकालने जा रही है, जिसका पैमाना और उत्साह पहली बार देखने को मिलेगा। प्रदेश के कोने–कोने से हजारों महिलाएं सफेद परिधान में, सतनाम के जयघोष के साथ राजधानी की सड़कों पर एकता, समानता और गुरु परंपरा का संदेश लेकर उतरेंगी।

सुबह जैतखाम की पूजा-अर्चना के बाद दोपहर 12 बजे बाइक रैली सतनाम चौक खम्हारडीह से रवाना होगी। रैली शंकर नगर, पार्वती नगर, जय सतनाम चौक, मोवा, आदर्श नगर, लोधीपारा, पंडरी झंडा चौक, मिनीमाता बस स्टैंड, तेलीबांधा सतनाम चौक और पुराने राजेंद्र नगर होते हुए गुरु घासीदास सतनाम भवन, न्यू राजेंद्र नगर में संपन्न होगी। पूरे शहर में सतनाम के नारों से वातावरण आध्यात्मिक और उत्साहपूर्ण बनने वाला है।


गुरु पर्व की शुरुआत और सतनामी समाज की गौरवशाली परंपरा
1 दिसंबर से शुरू हुआ गुरु पर्व सतनामी समाज की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रमुख पर्व है। इस दिन से लेकर गुरु घासीदास जयंती तक समाज के लोग सद्भाव, समानता और सात उपदेशों के संदेश को जीते हुए उत्सव मनाते हैं।

सफेद वस्त्र धारण करना, पंथी नृत्य की प्रस्तुति, जैतखाम की पूजा—ये सब मिलकर इस त्योहार को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर बनाते हैं।

गुरु घासीदास बाबा ने उस दौर में जब समाज अंधविश्वास, अन्याय और भेदभाव में जकड़ा था, तब सतनाम के पथ पर मानव समानता का संदेश दिया। उनका सिद्धांत था—
“मनखे-मनखे एक बरोबर”
अर्थात जन्म से नहीं, कर्म से मनुष्य का मूल्य तय होता है।


गुरु घासीदास बाबा के सात सिद्धांत — समाज को दिशा देने वाली सीख

• सतनाम पर दृढ़ विश्वास
• जीव हत्या का विरोध
• मांसाहार से दूरी
• चोरी–जुआ का त्याग
• नशामुक्त जीवन
• जात-पांत के भेदभाव से मुक्त विचार
• व्यभिचार से उच्च कोटि का चरित्र

यह सात सिद्धांत आज भी समाज सुधार की रीढ़ माने जाते हैं।


गुरु घासीदास की 42 अमृत वाणियां — जीवन को सरल और सार्थक बनाने वाला मार्गदर्शन
गुरु बाबा की 42 वाणियां जीवन के हर पहलू को छूती हैं—
सत्य को जीवन का आभूषण मानना हो या मेहनत की रोटी का सम्मान,
अंध-विश्वास से दूर रहना हो या न्याय और समानता की स्थापना,
दया–मानवता का महत्व हो या कर्मप्रधान जीवन…

हर वाणी ऐसा संदेश देती है जो मनुष्य को बेहतर इंसान बनने का मार्ग दिखाती है।
कुछ प्रमुख वाणियां—
• “सत ह मनखे के गहना आय।”
• “मनखे-मनखे एक बरोबर।”
• “मेहनत के रोटी ह सुख के आधार आय।”
• “चुगली अऊ निंदा ह घर ल बिगाड़थे।”
• “अपन आप ल कमजोर झन मानहु।”
• “सतनाम ह जीवन के आधार आय।”

ये वाणियां आज भी समाज को उसी दृढ़ता के साथ दिशा देती हैं जैसे सदियों पहले दी थीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *