अंगूर की खेती का नाम सुनते ही लोगों को बड़े-बड़े फार्म और फैले हुए बगीचे याद आते हैं, जबकि सच यह है कि अंगूर की बेल उतनी “नाजुक” नहीं होती जितना लोग समझते हैं। सही धूप, थोड़ी जगह, थोड़ा सहारा और थोड़ी नियमित देखभाल—बस इतना काफी है कि आपके घर की बालकनी, छत या छोटे से गार्डन में भी अंगूर की बेल खूब लहराए और आपको ढेरों फल दे।
घर में उगाई गई ग्रेप वाइन न सिर्फ घर को सुंदर बनाती है, बल्कि जब पहली बार अपने लगाए हुए बेल से अंगूर के गुच्छे झूलते दिखते हैं, तो वह खुशी किसी भी गार्डनिंग लवर के लिए खास होती है। आइए जानते हैं कि कैसे घर पर अंगूर की बेल लगाकर उसे बंपर फल देने योग्य बनाया जाए।
अंगूर की बेल को घर में उगाने और संभालने के आसान तरीके, स्पिन स्टाइल में––
सही वैरायटी चुनना सफलता की पहली सीढ़ी
अगर घर पर ग्रेप वाइन लगा रहे हैं, तो यह जरूरी है कि ऐसी किस्म चुनी जाए जो भारतीय मौसम में जल्दी एडजस्ट हो सके। ‘थॉम्पसन सीडलेस’, ‘बैंगलोर ब्लू’ और ‘अनाब-ए-शाही’ जैसी वैरायटीज़ गमलों में भी तेजी से बढ़ती हैं। ये कम देखभाल मांगती हैं और शुरुआती गार्डनर्स के लिए भी एकदम परफेक्ट विकल्प मानी जाती हैं।
गमला बड़ा हो, मिट्टी हल्की और सांस लेने वाली
अंगूर की जड़ें गहरी जाती हैं, इसलिए सामान्य छोटे गमलों से काम नहीं चलेगा। कम से कम 18 से 24 इंच की गहराई वाला पॉट चुनें। मिट्टी को भी लूज, ड्रेनेज वाली और पोषक बनाना बेहद जरूरी है। इसके लिए 40% गार्डन मिट्टी, 30% रेत और 30% अच्छी क्वालिटी कम्पोस्ट मिलाकर मिक्स तैयार करें। इससे जड़ें फैलती भी हैं और बेल शुरू से मजबूत बनती है।
रोज़ पानी देने की गलती न करें
अंगूर की बेल पानी पसंद करती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी इसका सबसे बड़ा दुश्मन है। हमेशा तब पानी दें, जब मिट्टी की ऊपरी परत सूखी दिखे। गर्मियों में 2–3 दिन के अंतर पर और सर्दियों में 4–5 दिन के अंतर पर पानी देना पर्याप्त है। हल्की ड्राई कंडीशन बेल को मीठे और बेहतर आकार वाले फल देने में मदद करती है।
बेल को सहारा दें, दिशा दें—यही उसकी ग्रोथ की कुंजी है
ग्रीनरी के साथ-साथ स्ट्रक्चर भी महत्वपूर्ण है। अंगूर की बेल फैलती हुई बढ़ती है और इसे सहारे की जरूरत होती है। तार, लकड़ी या गार्डन ट्रेलिस का इस्तेमाल कर बेल को शुरुआती स्टेज में ही सही दिशा दें। इससे पत्तियां ज्यादा बनेंगी, धूप सही मात्रा में मिलेगी, और अंत में फल भी भरपूर आएंगे। बेल को ट्रेन करना जितना आसान है, उसके परिणाम उतने ही शानदार मिलते हैं।
छंटाई यानी प्रूनिंग—यही असली जादू है पैदावार बढ़ाने का
अंगूर की बेल का असली रहस्य इसकी छंटाई में छिपा है। नई टहनियों से फल लगते हैं, इसलिए सर्दियों की शुरुआत में पुरानी, सूखी, बिखरी हुई टहनियों को काट देना जरूरी है। इससे बेल में ताजगी आती है और नई कोपलें तेजी से निकलती हैं। हर 30–40 दिन में हल्का जैविक खाद देने से फलन कई गुना बढ़ जाता है और अगली सीजन में आपकी बेल आपको मेहताब गुच्छों से लाद सकती है।