हम में से ज्यादातर लोग पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतल पर ही निर्भर रहते हैं। चाहे ऑफिस हो, जिम हो या सफर, एक प्लास्टिक की बोतल हमेशा हमारे बैग में रहती है। सुविधा के चक्कर में हम भूल जाते हैं कि हमारी ये आदत धीरे-धीरे हमारे शरीर में जहर घोल रही है। प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना लंबे समय में कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
प्लास्टिक की बोतल से निकलने वाले केमिकल
ज्यादातर प्लास्टिक की बोतलों में फ्थेलेट्स और माइक्रोप्लास्टिक जैसे केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल तापमान बढ़ने पर पानी में आसानी से घुल जाते हैं। जब आप इन बोतलों को धूप में रखते हैं तो यही केमिकल शरीर के अंदर पहुंचकर हॉर्मोनल डिस्बैलेंस, मेटाबॉलिज्म गड़बड़ और इम्यून सिस्टम कमजोर कर सकते हैं।
गर्म पानी या धूप में रखी बोतल
अक्सर लोग कार, बाइक या बैग में पानी की बोतल रखकर घूमते हैं। धूप और तापमान बढ़ने से प्लास्टिक में मौजूद जहरीले तत्व पानी में घुल जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 30°C से अधिक तापमान में प्लास्टिक का केमिकल रिसाव तेजी से बढ़ जाता है। ऐसे पानी को रोज पीना शरीर में धीरे-धीरे टॉक्सिन जमा करने जैसा है।
हार्मोनल असंतुलन का बड़ा कारण
प्लास्टिक बोतलों में मौजूद एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन की हिला देता है। यह खासकर महिलाओं के लिए अधिक हानिकारक हो सकता है और कई समस्याएं पैदा कर सकता है।
- पीरियड्स में गड़बड़ी
- प्रेग्नेंसी में समस्या
- हॉर्मोनल बदलाव
- मूड स्विंग्स और तनाव
- पुरुषों में भी यह हार्मोन लेवल को प्रभावित कर फर्टिलिटी कम कर सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक का सेवन
हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि प्लास्टिक बोतल के पानी में माइक्रोप्लास्टिक कण बड़ी मात्रा में मौजूद होते हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि आसानी से शरीर में घुसकर ब्लड सेल्स, फेफड़ों और दिल पर असर डाल सकते हैं।
- सांस की समस्याएं
- खून में टॉक्सिन्स
- पाचन तंत्र कमजोर
- स्किन एलर्जी
बोतल की बार-बार रीफिलिंग
बहुत से लोग एक ही प्लास्टिक बोतल को बार-बार धोकर इस्तेमाल करते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि समय के साथ बोतल की सतह पर दरारें बन जाती हैं और उनमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं?
- पेट संक्रमण
- दस्त
- जलन और एलर्जी
- उलटी और पेट दर्द
रीफिल्ड बोतल में बैक्टीरिया की मात्रा, कभी-कभी टॉयलेट सीट से भी ज्यादा पाई गई है।
शरीर में बदलाव दिखें तो हो जाएं सावधान
अगर आप रोज प्लास्टिक की बोतल से पानी पीते हैं और नीचे दिए लक्षण हों, तो यह चेतावनी है।
- सिर दर्द
- त्वचा पर दाने
- थकान
- हार्मोनल दिक्कतें
- बार-बार पेट खराब होना
- नींद की समस्या
ये सारे संकेत बताते हैं कि आपका शरीर प्लास्टिक का असर झेल रहा है।
प्लास्टिक बोतल के सुरक्षित विकल्प
- स्टील की बोतल- पानी ताजा रखती है।
- कॉपर की बोतल- इम्यूनिटी बढ़ाती है।
- ग्लास वाली बोतल- केमिकल-फ्री होती है।
इन विकल्पों से प्लास्टिक की टॉक्सिक समस्या से पूरी तरह बचा जा सकता है।
प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना जितना आसान और आरामदायक लगता है, उतना ही खतरनाक भी है। यह धीरे-धीरे आपके शरीर में केमिकल्स, माइक्रोप्लास्टिक और बैक्टीरिया पहुंचाकर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो प्लास्टिक छोड़कर स्टील, कॉपर या ग्लास वाली बोतल को अपनाना ही सबसे बेहतर विकल्प है।