Virat kohli: ‘मैं 2-3 साल से खेल ही नहीं पा रहा था…’ विराट कोहली ने 2 शतक ठोकने के बाद भी क्यों कहा ऐसा?

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विराट कोहली ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ वाइजैग में खेले गए तीसरे और निर्णायक वनडे में नाबाद 65 रन की पारी खेलते हुए भारत की जीत में अहम रोल निभाया। कोहली ने मैच के बाद कहा कि वह इस समय उस स्तर पर बल्लेबाजी कर रहे, जैसा उन्होंने पिछले दो-तीन साल में महसूस नहीं किया था। भारत ने यह मुकाबला नौ विकेट से जीता और सीरीज भी अपने नाम की।

कोहली ने इस सीरीज में पहले दो मैचों में लगातार दो शतक जड़े और तीसरे वनडे में भी नाबाद रहे। वह 302 रन और 151 की हैरतअंगेज औसत के साथ सीरीज के टॉप स्कोरर रहे। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में खेले गए वनडे में वह लगातार दो बार जीरो पर आउट हुए थे, लेकिन इस बार उन्होंने अंदाज बदलकर शानदार वापसी की।

2-3 साल में पहली बार ऐसी बैटिंग की: कोहली

पोस्ट मैच प्रजेंटेशन सेरेमनी में कोहली ने साफ कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो इस सीरीज में जिस तरह मैंने बल्लेबाजी की, वही मेरे लिए सबसे संतोषजनक है। दो-तीन साल में मैंने इस लेवल पर नहीं खेला था। ऐसा लग रहा है कि मेरा पूरा खेल एकदम से जुड़ने लगा है और अब इसे आगे बढ़ाना रोमांचक होगा।’

‘मैं हर परिस्थिति से निपटने को तैयार’

उन्होंने कहा कि जब भी वह खुद को मानसिक रूप से आज़ाद महसूस करते हैं, तो उनका खेल बिल्कुल अलग रूप ले लेता है। कोहली ने आगे कहा, ‘जब मैं इस तरह बैटिंग करता हूं, तो टीम को बड़ा फायदा होता है। मैं लंबी पारी खेल सकता हूं, स्थिति के हिसाब से खेल सकता हूं और पूरा आत्मविश्वास रहता है कि मैदान पर कोई भी परिस्थिति क्यों न हो, मैं उससे निपट सकता हूं।’

इस शानदार प्रदर्शन के लिए कोहली को प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया,जो उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का रिकॉर्ड 22वां और वनडे में 12वां अवॉर्ड है। उन्होंने तीन मैचों में 12 छक्के उड़ाए, जो किसी भी वनडे सीरीज में उनकी सबसे अधिक संख्या है। कोहली की स्ट्राइक रेट 117.05 रही, जो जनवरी 2023 के बाद किसी वनडे सीरीज में सबसे ज्यादा है।

कोहली ने यह भी कहा कि जोखिम लेने से उनका खेल और खुलता है। पूर्व कप्तान के मुताबिक, मुझे पता है कि जब मैं फ्री होकर खेलता हूं, तो छक्के आसानी से लगते हैं। बस थोड़ा मज़ा लेना चाहता था, अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाना चाहता था और देखना चाहता था कि मैं कितना आगे जा सकता हूं।

15 साल से भी ज़्यादा समय भारतीय क्रिकेट में बिताने वाले कोहली ने माना कि हर बल्लेबाज़ ऐसे दौर से गुजरता है जब वह खुद पर संदेह करता है। उन्होंने कहा, ‘कई बार लगता है कि शायद मैं अच्छा नहीं हूं, कई बार घबराहट हावी हो जाती है। लेकिन यही खेल की खूबसूरती है-आपको हर गेंद पर अपने डर को हराना होता है। कोहली ने कहा कि इन सभी अनुभवों ने उन्हें न सिर्फ बेहतर बल्लेबाज़ बनाया, बल्कि इंसान के रूप में भी संतुलित और मजबूत किया।

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