नक्सल संगठन को करारा झटका, एक करोड़ के इनामी CCM रामधेर ने 12 साथियों संग किया आत्मसमर्पण

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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी और निर्णायक सफलता मिली है। एक करोड़ रुपये के इनामी CCM सदस्य नक्सली रामधेर मज्जी ने अपने 12 हथियारबंद साथियों के साथ सोमवार सुबह आत्मसमर्पण कर दिया। यह सरेंडर Chhattisgarh Police के समक्ष बकरकट्टा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में हुआ, जहां सभी कैडरों ने हथियार जमीन पर रखकर खुद को कानून के हवाले कर दिया। सुरक्षा एजेंसियां इसे नक्सली ढांचे पर अब तक की सबसे बड़ी टूट में से एक मान रही हैं।

इस बड़े घटनाक्रम के बाद दोपहर एक बजे राजनांदगांव पुलिस लाइन में एक अहम प्रेस वार्ता रखी गई है, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री Vishnu Deo Sai, गृह मंत्री Vijay Sharma और डीजीपी Arun Dev Gautam सहित पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस दौरान पूरे ऑपरेशन और नक्सली नेटवर्क से जुड़े कई बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।

आत्मसमर्पण करने वाला यह पूरा समूह MMC यानी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ स्पेशल जोनल कमेटी का सक्रिय हिस्सा था, जिसकी गतिविधियां तीन राज्यों के छह जिलों तक फैली हुई थीं। रामधेर मज्जी का AK-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार के साथ सरेंडर करना नक्सल संगठन के लिए प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर बड़ा झटका माना जा रहा है। उसके साथ DVCM रैंक के चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी और प्रेम ने भी आत्मसमर्पण किया, जिनके पास AK-47 और INSAS जैसे हथियार बताए जा रहे हैं। इसके अलावा ACM स्तर के नक्सली रामसिंह दादा और सुकेश पोट्टम ने भी हथियार डाले। वहीं क्षेत्रीय महिला मिलिशिया से जुड़ी लक्ष्मी, शीला, योगिता, कविता और सागर ने भी पुलिस के सामने सरेंडर किया।

सुरक्षा बलों के अनुसार इस पूरे ग्रुप के पास से AK-47, INSAS, SLR, 303 राइफल और 30 कार्बाइन जैसे खतरनाक हथियार बरामद हुए हैं। इस सरेंडर के बाद MMC स्पेशल जोन को लगभग निष्क्रिय माना जा रहा है। सभी 12 नक्सली फिलहाल पुलिस कस्टडी में हैं और उनसे पूछताछ की प्रक्रिया तेजी से चल रही है, जिससे संगठन के अन्य ठिकानों, मूवमेंट और नेटवर्क को लेकर अहम जानकारियां मिलने की उम्मीद है।

गौर करने वाली बात यह भी है कि इससे पहले MMC जोन के प्रवक्ता अनंत ने गोंदिया में आत्मसमर्पण किया था। इसके अगले ही दिन बालाघाट में सुरेंद्र समेत नौ अन्य नक्सली भी हथियार डाल चुके हैं। लगातार हो रहे इन सरेंडरों से साफ संकेत मिल रहा है कि नक्सली संगठन की जमीनी पकड़ तेजी से कमजोर पड़ रही है और सुरक्षा बलों की रणनीति लगातार असर दिखा रही है।

राज्य में इस बड़ी सफलता को आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है। यह आत्मसमर्पण न सिर्फ नक्सल संगठन का मनोबल तोड़ने वाला है, बल्कि उन युवाओं के लिए भी संदेश है जो अब भी हिंसा के रास्ते पर हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लौटकर सम्मानजनक जीवन जिया जा सकता है।

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