छत्तीसगढ़ में जमीन की गाइडलाइन दरों को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब आम लोगों को बड़ी राहत देने वाला फैसला सामने आया है। रायपुर स्थित पंजीयन महानिरीक्षक कार्यालय ने जमीन के मूल्यांकन से जुड़े नियमों में संशोधन करते हुए नया आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के अनुसार अब शहरों में 1400 वर्गमीटर तक जमीन पर इंक्रीमेंटल गणना का जो अतिरिक्त प्रावधान लागू किया गया था, उसे पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में पहले से लागू पुराने प्रावधानों को फिर से बहाल कर दिया गया है।
नए आदेश का सीधा फायदा उन लोगों को मिलेगा, जो शहरी क्षेत्रों में छोटे और मध्यम भूखंडों की खरीद-फरोख्त करते हैं। अब उन्हें बढ़ी हुई गाइडलाइन दरों के कारण ज्यादा स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं चुकाना पड़ेगा। बहुमंजिला भवनों, फ्लैट और दुकानों को भी इस फैसले से बड़ी राहत मिली है। पहले सुपर बिल्ट-अप एरिया के आधार पर कीमत का आकलन किया जा रहा था, जिससे रेट काफी बढ़ जा रहे थे। अब इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है और मूल्यांकन केवल बिल्ट-अप एरिया के आधार पर ही किया जाएगा, जिससे आम खरीदार पर आर्थिक बोझ कम होगा।
दरअसल, जमीन की नई गाइडलाइन दरें लागू होने के बाद पूरे प्रदेश में इसका जबरदस्त विरोध शुरू हो गया था। कई जिलों में जमीन के मूल्य दोगुने तक बढ़ा दिए गए थे, जिससे न सिर्फ आम खरीदार बल्कि व्यापारी, बिल्डर और निवेशक भी असमंजस में आ गए थे। बढ़ती नाराजगी के बीच मुख्यमंत्री Vishnu Deo Sai ने भी साफ तौर पर कहा था कि अगर नई दरों से जनता पर नकारात्मक असर पड़ता है या जमीन की खरीद-फरोख्त प्रभावित होती है, तो सरकार इस फैसले पर दोबारा विचार करेगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया था कि विभागीय स्तर पर नई दरों को लेकर लगातार चर्चा चल रही है और जनता की परेशानी को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि सरकार ऐसा कोई निर्णय नहीं चाहती, जिससे आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ पड़े या बाजार की रफ्तार थम जाए। अब पंजीयन विभाग का यह नया आदेश इसी आश्वासन का प्रत्यक्ष परिणाम माना जा रहा है।
सरकार की ओर से यह भी बताया गया है कि वर्ष 2017 के बाद से जमीन की गाइडलाइन दरों में कोई संशोधन नहीं किया गया था, जबकि नियमों के अनुसार हर वर्ष इनका पुनरीक्षण होना जरूरी होता है। लंबे समय बाद एक साथ दरें बढ़ने से लोगों में असंतोष पनपना स्वाभाविक था। मुख्यमंत्री का कहना रहा है कि दरों में बढ़ोतरी के अपने कुछ फायदे भी हैं, लेकिन फिलहाल उसका लाभ आम जनता तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाया है।
नई गाइडलाइन दरों के खिलाफ प्रदेश के कई इलाकों में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई थी। व्यापारिक संगठनों, रियल एस्टेट से जुड़े लोगों और आम नागरिकों ने खुलकर विरोध दर्ज कराया, जिससे सरकार पर दबाव लगातार बढ़ता चला गया। इसी दबाव के बीच अब यह राहत भरा आदेश सामने आया है, जिससे बाजार में फिर से स्थिरता लौटने की उम्मीद की जा रही है।
कुल मिलाकर, सरकार के इस नए फैसले से अब जमीन, फ्लैट और दुकानों की खरीद-फरोख्त आसान होने की संभावना है। बढ़ी हुई दरों से जो ठहराव बाजार में आ गया था, वह धीरे-धीरे खत्म हो सकता है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अगर जरूरी हुआ तो सरकार गाइडलाइन दरों को लेकर और भी संशोधन कर सकती है, ताकि विकास और जनता की सहूलियत के बीच संतुलन बना रहे।