धान खरीदी पर घमासान तेज, दीपक बैज का सरकार पर हमला—किसान टोकन के लिए भटक रहे, पोर्टल ठप

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छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर सियासत लगातार गर्माती जा रही है। सोमवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष Deepak Baij ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि किसान टोकन लेने के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई जगह किसानों का रकबा काट दिया गया है और धान खरीदी का पोर्टल ठीक से काम ही नहीं कर रहा, जिससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है।

दीपक बैज ने महासमुंद की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि वहां टोकन न मिलने से आहत एक किसान ने आत्मघाती कदम उठा लिया। उन्होंने इसे सरकार की अव्यवस्था और संवेदनहीनता का सीधा नतीजा बताया। बैज का कहना था कि जब खरीदी की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है, तो फिर किसान इतने बड़े संकट में क्यों फंस रहे हैं, इसका जवाब सरकार को देना चाहिए।

प्रदेश में 1 लाख 52 हजार क्विंटल अवैध धान जब्त होने के मामले पर भी पीसीसी चीफ ने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि धान खरीदी के आंकड़े बड़े दिखाने के लिए बाहर से धान लाया जा रहा है। सीमा भी सरकार की है, कर्मचारी भी सरकार के हैं और पूरी व्यवस्था भी उन्हीं के हाथ में है, फिर यह अवैध धान आखिर कैसे प्रदेश में घुस रहा है। बैज ने इसे सीधे तौर पर सरकारी संरक्षण में चल रहा खेल बताया।

जमीन की नई गाइडलाइन दरों पर जारी आदेश को लेकर भी दीपक बैज ने सरकार पर तीखा तंज कसा। उन्होंने कहा कि सरकार बिना सोचे-समझे फैसले ले रही है। अगर सरकार में सच में कोई समझदार लोग होते, तो ऐसे फैसले कभी नहीं लिए जाते। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि यह सरकार पहले निर्णय थोपती है और फिर विरोध होने पर उसी फैसले से पीछे हट जाती है, यानी थूक कर चाटने जैसा व्यवहार कर रही है। बैज ने यह भी कहा कि अगर सरकार को प्रदेश चलाना नहीं आ रहा, तो कम से कम किसी से सलाह तो ले ले।

भारतीय जनता युवा मोर्चा में 35 साल से कम उम्र के लोगों को जगह देने के फैसले पर भी उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसा। Bharatiya Janata Party को सीधे निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी को कांग्रेस की नकल करने की आदत है, लेकिन नकल करने के लिए भी अक्ल की जरूरत होती है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि नकल सही तरीके से कैसे करनी है, इसके लिए बीजेपी को अपने ही मंत्री Kedar Kashyap से बात कर लेनी चाहिए।

कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में धान खरीदी, अवैध धान की जब्ती और जमीन की गाइडलाइन दरों जैसे मुद्दों पर सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। कांग्रेस के लगातार हमलों के बीच अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन आरोपों पर क्या जवाब देती है और किसानों की समस्याओं को लेकर क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।

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