विश्व के कुछ देश वर्ष 2024 में मंदी की मार झेल सकते हैं, यह कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का आंकलन है। परंतु, वैश्विक स्तर पर अर्थव्यस्था के गिरने की सम्भावनाओं के बीच एक देश ऐसा भी है, जिस पर समस्त अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक, की नजरें टिकी है, वह है भारत। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति समस्त विदेशी वित्तीय संस्थान आशावान हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब भारत ही सहारा देने की क्षमता रखता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अभी हाल ही में एक प्रतिवेदन जारी किया है। इसमें भारत के प्रति मुख्य रूप से तीन बातें कही गई हैं। प्रथम, भारत आज विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। दूसरे, भारत का सकल घरेलू उत्पाद 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा। तीसरे, वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद में भारत का योगदान 16 प्रतिशत का रहने वाला है। भारत आने वाले समय में पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था के विकास में एक इंजिन के रूप में अपना योगदान देने को तैयार है।
भारत ने वर्ष 2023 में विश्व में कम होती विकास दर के बीच भी आकर्षक विकास दर हासिल की है। क्योंकि, भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में, विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में, लगातार कई बड़े फैसले लिए हैं, जिनका प्रभाव अब भारतीय अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। एक तो भारत ने आर्थिक व्यवहारों का डिजिटलीकरण किया है और इस क्षेत्र में पूरे विश्व को ही राह दिखाई है, इससे आर्थिक व्यवहारों की न केवल निपुणता बढ़ी है बल्कि लागत भी बहुत कम हुई है। दूसरे, केंद्र सरकार ने देश में आधारभूत संरचना को विकसित करने के लिए भारी भरकम राशि का पूंजीगत खर्च किया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7.50 लाख करोड़ रुपए की राशि इस मद पर खर्च की गई थी एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10 लाख करोड़ रुपए की राशि इस मद पर खर्च की जा रही है। भारत में सड़क, रेल्वे एवं स्वास्थ्य सेवाओं के विकास पर 12,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का पूंजीगत खर्च आगे आने वाले समय में किये जाने की योजना बनाई गई है। वर्ष 2017 से 2023 के बीच आधारभूत संरचना के विकास हेतु 70 लाख करोड़ रुपए की राशि का पूंजीगत खर्च किया गया था परंतु वर्ष 2024 से 2030 के बीच 143 लाख करोड़ रुपए की राशि का पूंजीगत खर्च किए जाने की योजना बनाई जा रही है। तीसरे, भारत में केंद्र सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिकों को कई योजनाओं के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान करने की भरपूर कोशिश की है, जिसका परिणाम इस वर्ग की संख्या में भारी भरकम कमी के रूप में देखने को मिला है। और फिर, अब तो यह वर्ग मध्यम वर्ग की श्रेणी में शामिल होकर भारत में उत्पादों की मांग में वृद्धि करने में सहायक की भूमिका निभा रहा है, जिससे देश में ही विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में भारी वृद्धि हो रही है।
इसी प्रकार, विश्व के सबसे बड़े ऑफिस काम्प्लेक्स का निर्माण भारत में गुजरात राज्य के सूरत शहर में किया गया है। इस ऑफिस काम्प्लेक्स में 4,500 से अधिक हीरा व्यवसाईयों के कार्यालय स्थापित किए गए हैं। इस काम्प्लेक्स में कच्चे हीरे के व्यापारियों से लेकर पोलिश हीरे की बिक्री करने वाली कम्पनियों के ऑफिस एक ही जगह पर स्थापित किए जाएंगे। सूरत डायमंड बोर्स बिल्डिंग के नाम से इस काम्प्लेक्स, जो 67 लाख वर्गफुट से अधिक के क्षेत्र में फैला है, का उद्घाटन दिसम्बर 2024 माह में भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा सम्पन्न हुआ है। यह काम्प्लेक्स अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन के मुख्यालय भवन से भी बड़ा है, पेंटागन के मुख्यालय को आज तक विश्व में सबसे बड़ा भवन माना जाता रहा है। इस तरह के कई व्यावसायिक केंद्र भारत में विकसित हो रहे हैं।
विश्व के अन्य देश मुद्रा स्फीति की समस्या से पिछले कुछ वर्षों से लगातार जूझते रहे हैं परंतु भारत ने इस समस्या पर भी नियंत्रण प्राप्त करने में सफलता हासिल की है। जुलाई 2023 में भारत में खुदरा महंगाई की दर 7.44 प्रतिशत थी जो अक्टोबर 2023 में घटकर 4.87 प्रतिशत पर नीचे आ गई है। अब तो शीघ्र ही भारतीय रिजर्व बैंक रेपो दर में कमी की घोषणा कर सकता है जिससे देश में ब्याज की दरें कम होना शुरू होंगी इससे निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था में और अधिक तेजी की सम्भावना बनेगी।
आगे आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को यदि किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वह आंतरिक समस्या न होकर वैश्विक स्तर की समस्या के कारण होगी। क्योंकि, कुछ देशों, विकसित देशों सहित में मंदी की सम्भावनाएं बन रही हैं। दूसरे, रूस यूक्रेन युद्ध, हम्मास इजराईल युद्ध, चीन का अपने पड़ौसी देशों से टेंशन, यूरोपीयन देशों के आपसी झगड़े, कुछ ऐसे बिंदु हैं जो भारत की विकास दर को विपरीत रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यदि इन्हीं समस्त कारणों से कुछ विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होती हैं तो भारत से विभिन्न उत्पादों का निर्यात भी कम होगा, आयात होने वाली वस्तुओं की लागत बढ़ेगी, इस प्रकार की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं जो भारत को भी आने वाले समय में परेशान करें। दूसरे, कुछ प्राकृतिक कारण भी जैसे मानसून का उचित समय पर नहीं आना अथवा कम बारिश होना, जैसी कुछ समस्याएं भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं। अन्यथा पिछले लगभग 10 वर्ष का समय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए स्वर्णिम काल कहा जाना चाहिए और आगे आने वाले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था नई ऊचाईयों को छूने के लिए तैयार है। उदाहरण के लिए यह इतिहास में पहली बार होने जा रहा है कि भारतीय शेयर बाजार वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2023 तक लगातार 8 वर्षों तक निवेशकों को लाभ की स्थिति प्रदान करता रहा है। दूसरे, अमेरिकी वित्तीय संस्था लीहमन ब्रदर्स के वर्ष 2008 में टूटने के बाद भारत का निफ्टी एवं चीन का शंघाई शेयर बाजार 3000 के अंकों पर थे, परंतु आज भारत का निफ्टी 21800 अंकों के ऊपर पहुंच गया है और चीन का शंघाई शेयर बाजार अभी भी 3000 अंकों पर ही बरकरार है। लगभग समस्त देशों के निवेशक आज भारतीय शेयर बाजार के प्रति अत्यधिक भरोसा जताए हुए हैं और आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 60,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है।
प्रहलाद सबनानी,
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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