एलॉन मस्क की कंपनी SpaceX ने भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा Starlink की कीमतों का आधिकारिक खुलासा कर दिया है। अब भारतीय यूजर्स को स्टारलिंक का अनलिमिटेड इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए हर महीने ₹8,600 चुकाने होंगे। इसके साथ ही एक बार के लिए हार्डवेयर किट खरीदनी होगी, जिसकी कीमत ₹34,000 तय की गई है। इस किट में सैटेलाइट डिश, वाई-फाई राउटर, पावर सप्लाई और माउंटिंग सिस्टम शामिल होगा।
कंपनी की ओर से यह भी साफ किया गया है कि यूजर्स को पहले 30 दिन का फ्री ट्रायल मिलेगा। अगर इस अवधि में सर्विस संतोषजनक नहीं लगती है तो पूरा पैसा वापस किया जाएगा। स्टारलिंक की यह सेवा जनवरी 2026 तक भारत में शुरू हो सकती है। कंपनी का दावा है कि यह सर्विस 99.9 प्रतिशत अपटाइम के साथ अनलिमिटेड डेटा उपलब्ध कराएगी, जो खासतौर पर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के लिए एक बड़े डिजिटल बदलाव की तरह होगी।
स्पीड की बात करें तो स्टारलिंक से यूजर्स को 40 Mbps से लेकर 220 Mbps से ज्यादा तक की डाउनलोड स्पीड मिल सकती है, जबकि अपलोड स्पीड 8 से 25 Mbps के बीच रहेगी। इसकी लेटेंसी भी काफी कम होगी, जो लगभग 20 से 60 मिलीसेकेंड के आसपास रहने का दावा किया गया है। इसका मतलब यह है कि ऑनलाइन क्लास, वीडियो कॉल, गेमिंग और स्ट्रीमिंग जैसी गतिविधियां बिना किसी लैग के आसानी से की जा सकेंगी।
स्टारलिंक की तकनीक पूरी तरह सैटेलाइट आधारित है, जिसमें लो-अर्थ ऑर्बिट में घूम रहे हजारों सैटेलाइट धरती के किसी भी कोने तक सीधे इंटरनेट बीम करते हैं। यही वजह है कि यह सेवा जंगल, पहाड़, सीमावर्ती इलाकों और गांवों तक भी तेज इंटरनेट पहुंचाने में सक्षम है, जहां आज भी फाइबर या मोबाइल नेटवर्क पहुंचना मुश्किल होता है। हाई-स्पीड इंटरनेट पाने के लिए यूजर को बस इतना करना होगा कि वह स्टारलिंक डिश को खुले आसमान के नीचे सही दिशा में सेट करे। इसके लिए iOS और एंड्रॉइड दोनों प्लेटफॉर्म पर स्टारलिंक ऐप भी उपलब्ध है, जो इंस्टॉलेशन से लेकर नेटवर्क मॉनिटरिंग तक सब कुछ आसान बना देता है।
स्टारलिंक की सबसे बड़ी खासियत यही मानी जा रही है कि यह उन इलाकों में भी इंटरनेट पहुंचाएगा, जहां आज तक डिजिटल कनेक्टिविटी एक सपना बनी हुई थी। गांवों में ऑनलाइन पढ़ाई, टेलीमेडिसिन, डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन कारोबार को इससे जबरदस्त बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही, टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से आने वाले समय में इंटरनेट प्लान्स और भी सस्ते और बेहतर हो सकते हैं।
स्टारलिंक को भारत में लाइसेंस मिलने में भी लंबा वक्त लगा। कंपनी 2022 से मंजूरी की कोशिश कर रही थी, लेकिन डेटा सिक्योरिटी और कॉल इंटरसेप्शन जैसी सरकारी शर्तों की वजह से मामला अटका रहा। आखिरकार मई 2025 में कंपनी को लेटर ऑफ इंटेंट मिला और अब पूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसका रास्ता साफ हो गया है।
कुल मिलाकर, स्टारलिंक का भारत में आना सिर्फ एक नई इंटरनेट सर्विस का लॉन्च नहीं, बल्कि देश के डिजिटल भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। खासकर उन करोड़ों लोगों के लिए, जो आज भी तेज और भरोसेमंद इंटरनेट से दूर हैं, स्टारलिंक एक नई उम्मीद बनकर उभर रहा है।