Nation Against Sunburn: भारतीय परंपरा पर खतरे का आरोप, मुंबई में होने वाले सनबर्न फेस्टिवल पर बैन की तेज़ मांग

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भारत में होने वाला मशहूर सनबर्न फेस्टिवल अब गोवा से हटकर मुंबई में आयोजित होने जा रहा है। यह आयोजन 19 से 21 दिसंबर के बीच प्रस्तावित है, लेकिन कार्यक्रम से पहले ही इसका तीखा विरोध शुरू हो गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर “Nation Against Sunburn” जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग इस फेस्टिवल को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ बता रहे हैं।

हिंदू जनजागृति समिति ने सनबर्न फेस्टिवल को एशिया का सबसे बड़ा म्यूजिक फेस्टिवल बताते हुए उस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। समिति का कहना है कि इस आयोजन में संगीत और मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता, नशा और पश्चिमी जीवनशैली को बढ़ावा दिया जाता है, जो युवाओं के नैतिक पतन की ओर इशारा करता है। संगठन का साफ कहना है कि ऐसे आयोजन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के विरुद्ध हैं और इन्हें रोका जाना चाहिए।

महाराष्ट्र में भी कई सामाजिक संगठनों ने इस फेस्टिवल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नशा मुक्त संघर्ष समिति, मुंबई ने इसे सीधे तौर पर “ड्रग एडिक्ट्स का फेस्टिवल” बताया है और राज्य सरकार से इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। समिति ने महाराष्ट्र में लागू नशा विरोधी सख्त नीति का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से नशे को सामाजिक स्वीकृति मिलती है, जो भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है।

इस आंदोलन से जुड़े फाउंडिंग मेंबर और अंग्रेज़ी के असिस्टेंट प्रोफेसर श्रीपद सामंत का कहना है कि अगर मुंबई में यह फेस्टिवल आयोजित होता है तो यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान के लिए शर्मनाक होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार और प्रशासन जनभावनाओं को समझते हुए इस आयोजन पर रोक लगाएंगे।

सोशल मीडिया पर भी इसका जोरदार विरोध देखने को मिल रहा है। “नेशन अगेंस्ट सनबर्न” हैशटैग के तहत यूजर्स लगातार यह लिख रहे हैं कि यह फेस्टिवल भारतीय संस्कृति के खिलाफ है और यह युवाओं को नशे व उन्मुक्तता की ओर धकेलने वाला आयोजन बन चुका है। लोगों का यह भी कहना है कि ऐसे फेस्टिवल पश्चिमी प्रभाव को बढ़ावा देते हैं, जिससे देश की सांस्कृतिक जड़ें कमजोर होती हैं।

गौरतलब है कि सनबर्न फेस्टिवल की शुरुआत 27 और 28 दिसंबर 2007 को गोवा के कैंडोलिम बीच से हुई थी। साल 2017 में गोवा सरकार ने इसे अनुमति देने से इंकार कर दिया था, लेकिन 2019 में इसे दोबारा मंजूरी दी गई। इसके बावजूद हर साल इसके खिलाफ विरोध होता रहा है। अब जब यह फेस्टिवल गोवा से हटकर मुंबई लाया गया है, तो विरोध एक बार फिर तेज़ हो गया है।

हिंदू जनजागृति समिति कर्नाटक के राज्य संयोजक गुरुप्रसाद का कहना है कि बकाया राशि और जनता के दबाव के चलते गोवा ने सनबर्न से दूरी बनाई थी। उन्होंने सवाल उठाया कि अब मुंबई क्यों युवाओं को नशे की लत और पर्यावरणीय नुकसान के जोखिम की ओर धकेलना चाहती है। इसी तरह कई अन्य संगठन भी इस आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल सनबर्न फेस्टिवल का भविष्य बढ़ते विरोध के बीच अधर में लटका नजर आ रहा है।

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