YouTube के CEO नील मोहन बने TIME के ‘CEO ऑफ द ईयर 2025’, टाइम मैगजीन ने किसान से की अनोखी तुलना

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भारतीय मूल के नील मोहन के लिए यह साल ऐतिहासिक बन गया है। दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में शामिल TIME Magazine ने उन्हें 2025 का ‘CEO ऑफ द ईयर’ चुना है। टाइम मैगजीन ने उनकी तुलना एक किसान से करते हुए कहा है कि नील मोहन जो बोएंगे, वही पूरी दुनिया खाएगी। इस एक लाइन ने आज के डिजिटल युग में यूट्यूब की ताकत और उसके प्रभाव को बेहद गहरे तरीके से समझा दिया है।

नील मोहन 2023 से YouTube के CEO हैं और उनके नेतृत्व में यूट्यूब एक नए ट्रांसफॉर्मेटिव दौर से गुजर रहा है। टाइम मैगजीन ने उन्हें “कल्चरल आर्किटेक्ट” बताते हुए लिखा कि वे अरबों लोगों के रोज़ाना के कंटेंट कंजम्प्शन को आकार देते हैं। मज़ेदार बात यह है कि इसी साल यूट्यूब अपनी 20वीं सालगिरह भी मना रहा है और ऐसे मौके पर उसका CEO ‘CEO ऑफ द ईयर’ बनना कंपनी के लिए भी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

टाइम मैगजीन ने अपने लेख में लिखा है कि आज यूट्यूब केवल एक प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का “किचन” बन चुका है। इसमें कंटेंट हर दिन पकता है और वही कंटेंट अरबों लोगों की सोच, पसंद और व्यवहार को प्रभावित करता है। मैगजीन ने कहा कि नील मोहन उस किसान की तरह हैं, जो तय करता है कि खेत में क्या बोया जाएगा। खेत अब पूरी दुनिया बन चुका है, इसलिए जो कुछ यहां उगेगा, वही सबकी थाली में परोसा जाएगा। इसमें अच्छी फसल भी उग सकती है और अगर ज़हर बोया गया, तो उसका असर भी पूरी दुनिया झेलेगी।

नील मोहन की निजी जिंदगी और संघर्ष भी किसी प्रेरक कहानी से कम नहीं है। 52 वर्षीय नील मोहन का जन्म 1973 में अमेरिका के मिशिगन राज्य के एन आर्बर शहर में हुआ था। 1980 के दशक में वे अपने तमिल मूल के माता-पिता के साथ भारत आए और लखनऊ में रहे। यहीं उन्होंने हिंदी और संस्कृत सीखी। वे अक्सर संस्कृत की तुलना कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से करते हैं और कहते हैं कि दोनों में गहराई, लॉजिक और अनुशासन की जबरदस्त समानता है।

पढ़ाई के लिए उन्होंने Stanford University से अंडरग्रेजुएशन और MBA किया। निजी जीवन में उन्हें एक गहरा सदमा भी झेलना पड़ा, जब उनके भाई अनुज की महज़ 30 साल की उम्र में स्विमिंग पूल एक्सीडेंट में मौत हो गई। करियर की शुरुआत उन्होंने मैनेजमेंट कंसल्टिंग से की, फिर नेटग्रेविटी नाम की कंपनी जॉइन की, जो बाद में डबलक्लिक में मर्ज हो गई। साल 2007 में Google ने डबलक्लिक को करीब 3.1 अरब डॉलर में खरीद लिया, और यही डील नील मोहन के करियर का टर्निंग पॉइंट बन गई।

डबलक्लिक डील के दौरान ही उनकी मुलाकात सुसैन वोज़सिकी से हुई, जो बाद में यूट्यूब की CEO बनीं। वोज़सिकी ही नील मोहन को यूट्यूब में लेकर आईं। जब वोज़सिकी को कैंसर डाइग्नोज़ हुआ, तब नील मोहन ने कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं। आखिरकार 2023 में उन्हें आधिकारिक रूप से यूट्यूब का CEO बना दिया गया। 2024 में सुसैन वोज़सिकी का निधन हो गया, जिसके बाद नील मोहन पर यूट्यूब की दिशा और दशा तय करने की पूरी जिम्मेदारी आ गई।

टाइम मैगजीन ने नील मोहन के स्वभाव को लेकर भी दिलचस्प बातें लिखी हैं। उन्हें “क्वाइट-स्पोकेन, सोच-विचार कर फैसले लेने वाला और मुश्किल से विचलित होने वाला” लीडर बताया गया है। उन्हें खेल देखना, अपनी बेटियों के डांस रिसाइटल अटेंड करना पसंद है और कई बार वे खुद क्रिएटर्स के वीडियो में भी दिखाई दे जाते हैं। यही वजह है कि वे सिर्फ एक टेक एग्जीक्यूटिव नहीं, बल्कि क्रिएटर इकॉनमी की नब्ज़ समझने वाले लीडर बन चुके हैं।

कुल मिलाकर, नील मोहन का TIME का CEO ऑफ द ईयर बनना सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि उस दौर की पहचान है, जहां डिजिटल प्लेटफॉर्म पूरी दुनिया की सोच, संस्कृति और आदतों को गढ़ रहे हैं। और इस विशाल खेत का किसान आज एक भारतीय मूल का वैश्विक लीडर है, जिसकी बोई हुई फसल आने वाले वर्षों में पूरी दुनिया की प्लेट में परोसी जाएगी।

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