मानवता की डोर थामे एक पहल— जहाँ कदम थक जाएँ, वहाँ ‘सुलभ पोर्टर सेवा’ से नई उम्मीद

Spread the love

दुर्ग– भिलाई की भीड़भाड़ के बीच जवाहारलाल नेहरु चिकित्सालय का एक कोना ऐसा भी है, जहाँ रोज़ सैकड़ों कदम रुक जाते हैं थकान से नहीं, बल्कि इस एहसास से कि वे अकेले नहीं हैं। कोई वृद्ध जिसके साथ घर से कोई नहीं आया, कोई दुर्घटना पीड़ित जो चल पाने में असमर्थ है, या कोई ऐसा मरीज जिसका हाथ पकड़ने वाला भी न हो— इन सबके लिए 01 अक्टूबर, 2024 से भिलाई इस्पात संयंत्र ने एक ऐसी पहल शुरू की है, जिसने अस्पताल की संवेदनशीलता को एक नई पहचान दी है।

यह पहल है—“सुलभ सुविधा”, एक मानवीय पोर्टर सेवा, जो भिलाई इस्पात संयंत्र के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग के सहयोग से सुलभ इंटरनेशनल द्वारा संचालित की जा रही है।

इस सेवा की आत्मा सरल है— “जिसके पास कोई नहीं, उसके लिए हम हैं।” जेएलएन चिकित्सालय के मार्गदर्शन में चल रही यह पोर्टर सेवा उन मरीजों को व्हीलचेयर पर ओपीडी या कैजुअल्टी वार्ड तक सुरक्षित पहुँचाती है, जिन्हें चलना कठिन हो या उनके साथ कोई सहारा न हो। अक्सर यह टीम सिर्फ मरीज को ले जाने का काम नहीं करती, बल्कि उनका मनोबल भी संभालती है, क्योंकि बीमारी से जूझते व्यक्ति को सबसे ज्यादा जरुरत होती है— संवेदना की।

तीन शिफ्टों में 18 प्रशिक्षित पोर्टर्स पूरे 24 घंटे, वर्षभर सेवाएँ देते हैं। इनकी नीली वर्दी अस्पताल में पहचान बन चुकी है— ‘सर्विस विथ स्माइल’ के संदेश के साथ। हर महीने 2500 से अधिक मरीज इस सुविधा से लाभान्वित होते हैं, खासतौर पर वृद्धजन, जिनके कदम अब पहले जैसे साथ नहीं देते।

सुलभ सुविधा के वॉलंटियर देवेंद्र कुमार बताते हैं— “हम इन्हें व्हीलचेयर पर बैठाते समय कोशिश करते हैं कि इनकी आँखों से अकेलेपन का डर उतर जाए। अपने काम में हमें सेवा का संतोष मिलता है।” यह बातें केवल शब्द नहीं, बल्कि इस सेवा की आत्मा हैं। कई बार वृद्ध मरीज इन पोर्टर्स को आशीर्वाद देते हुए कहते हैं कि अस्पताल की दौड़-भाग इनके बिना संभव नहीं हो पाती।

भिलाई इस्पात संयंत्र का प्रशासनिक सहयोग इस सेवा की रीढ़ है— नियमित मॉनिटरिंग, आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता, प्रशिक्षित मानव संसाधन और सुलभ इंटरनेशनल की विशेषज्ञता मिलकर यह सुनिश्चित करती है कि मरीजों को सम्मानजनक, सुरक्षित और संवेदनशील सहायता मिले।

यह पहल साबित करती है कि निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व सिर्फ परियोजनाओं का नाम नहीं है, बल्कि समाज की नब्ज समझने की जिम्मेदारी भी है। वृद्धजन और असहाय मरीजों ने इस सुविधा को जारी रखने का आग्रह किया है, क्योंकि उनके लिए यह सेवा एक सहारा बन चुकी है।

सुलभ सुविधा हमें याद दिलाती है कि स्वास्थ्य सेवा वह मानवीय स्पर्श भी है जो किसी मरीज के चेहरे पर भरोसे की मुस्कान लौटाता है। जब दुनिया तेज़ी से आगे बढ़ रही हो, तब ऐसे छोटे लेकिन निर्णायक कदम ही समाज में करुणा को जीवित रखते हैं।

मानवीय संवेदना और अस्पताल प्रबंधन के समन्वय से बनी यह पहल नागरिक-हितैषी स्वास्थ्य सेवा की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है। यह सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि यह संदेश भी है कि समाज की प्रगति का वास्तविक मापदंड वही है जहाँ सबसे कमजोर व्यक्ति को भी समान सम्मान, सहारा और सुरक्षा मिले। जवाहारलाल नेहरु चिकित्सालयकी ‘सुलभ पोर्टर सेवा’ इसी विचार को साकार करते हुए यह सिद्ध कर रही है कि जहाँ संवेदना प्राथमिकता बन जाए, वहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था सिर्फ इलाज का केंद्र नहीं, बल्कि मानवता का दर्पण बन जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *