छत्तीसगढ़ में नहीं थम रहा वन्यजीवों का शिकार: कवर्धा में तेंदुए की सड़ी लाश, भोरमदेव अभ्यारण में दो वन भैंसों की मौत से मचा हड़कंप

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छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों के अवैध शिकार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं और वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद हालात काबू में आते नजर नहीं आ रहे हैं। कवर्धा जिले के मोतीनपुर और बोटेसूर गांव के बीच जंगल में तेंदुए की सड़ी-गली लाश मिलने से एक बार फिर वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि तेंदुए का शव करीब एक सप्ताह पुराना है और प्रारंभिक जांच में करंट लगाकर शिकार किए जाने की आशंका जताई जा रही है। सूचना मिलते ही जंगल सफारी की डॉग स्क्वायड और फोरेंसिक जांच टीम मौके पर पहुंची और साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया शुरू की गई।

जांच के दौरान मोतीनपुर निवासी बिशु साहू को हिरासत में लिया गया, जिसके घर से जेआई तार बरामद किया गया है। आरोपी को 14 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। इस पूरे मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में संबंधित बीट गार्ड को भी निलंबित कर दिया गया है। यह घटना लोहारा रेंज के मोतीनपुर बीट क्षेत्र की बताई जा रही है, जहां पहले भी शिकार की आशंकाओं को लेकर शिकायतें सामने आती रही हैं।

इसी बीच राजकीय पशु वन भैंसा की मौत का मामला भी एक बार फिर तूल पकड़ रहा है। भोरमदेव अभ्यारण के जामुन पानी क्षेत्र में करंट लगने से दो वन भैंसों की मौत हो गई है। बीते दो महीनों में चार वन भैंसों की मौत से वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। आशंका जताई जा रही है कि शिकारियों ने जानबूझकर जंगल में करंट का तार बिछाया था, जिसकी चपेट में आकर इन संरक्षित वन्यजीवों की जान चली गई। सूचना मिलने पर वन मंडल अधिकारी मौके पर पहुंचे और फोरेंसिक टीम व डॉग स्क्वायड को जांच में लगाया गया है। बोड़ला विकासखंड के जामुन पानी बीट क्षेत्र में हुए इस मामले में वन विभाग ने दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

वन्यजीवों की लगातार हो रही मौतों के बीच सूरजपुर जिले से भी एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। घुई वन परिक्षेत्र में मिले बाघ के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि बाघ की मौत करंट लगने से हुई। शुरुआती जांच में सामने आया है कि जंगल में अवैध रूप से करंट का तार बिछाया गया था, जिसकी चपेट में आने से बाघ की जान गई। यह खुलासा प्रदेश में शिकारियों के बढ़ते दुस्साहस और कमजोर निगरानी तंत्र की ओर इशारा करता है।

वन्यजीवों की संदिग्ध मौत और अवैध शिकार की बढ़ती घटनाओं को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्त गुरु की डिवीजन बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है। कोर्ट ने राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह मुख्य वन्यजीव वार्डन को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं और स्पष्ट शब्दों में कहा है कि प्रदेश में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर 2025 को तय की गई है।

लगातार सामने आ रही इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद वन्यजीव संरक्षण की जमीनी हकीकत चिंताजनक बनी हुई है। तेंदुए, बाघ और वन भैंस जैसे संरक्षित प्राणियों की इस तरह हो रही मौतें न सिर्फ वन विभाग के लिए चुनौती हैं, बल्कि पूरे प्रदेश की जैव विविधता के लिए भी एक गंभीर खतरे का संकेत हैं।

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