भारत के कमोडिटी बाजार में चांदी ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। आज 17 दिसंबर को चांदी पहली बार 2 लाख रुपये प्रति किलो के आंकड़े को पार कर गई। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के अनुसार एक किलो चांदी की कीमत में एक ही दिन में 8,775 रुपये की जोरदार तेजी आई और भाव 2,00,750 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया। इससे पहले चांदी 1,91,977 रुपये पर कारोबार कर रही थी। सिर्फ इस साल चांदी की कीमत में 1,14,733 रुपये की उछाल दर्ज की जा चुकी है, जो इसकी ऐतिहासिक तेजी को दर्शाती है।
इसी के साथ सोने में भी मजबूती देखने को मिली है। आज सोने का भाव 936 रुपये बढ़कर 1,32,713 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। इससे पहले सोना 1,31,777 रुपये पर था। गौरतलब है कि सोने ने 15 दिसंबर को 1,33,442 रुपये प्रति 10 ग्राम का अब तक का ऑल टाइम हाई बनाया था, जिसके आसपास फिलहाल भाव बने हुए हैं।
चांदी की तेजी का सबसे चौंकाने वाला पहलू इसका बेहद तेज रफ्तार सफर है। इसी साल 18 मार्च को चांदी पहली बार 1 लाख रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंची थी। इसके बाद महज 9 महीनों में ही इसने 2 लाख रुपये का आंकड़ा छू लिया। इसके उलट अगर पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो चांदी को 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंचने में पूरे 14 साल लग गए थे। यह अंतर साफ दिखाता है कि हाल के महीनों में चांदी की मांग और कीमतों में कितनी असाधारण तेजी आई है।
2025 में अब तक की बात करें तो सोना और चांदी दोनों ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है। 31 दिसंबर 2024 को जहां 24 कैरेट सोना 76,162 रुपये प्रति 10 ग्राम था, वहीं अब यह बढ़कर 1,32,713 रुपये तक पहुंच गया है। यानी सोने की कीमत में 56,551 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। वहीं चांदी 31 दिसंबर 2024 को 86,017 रुपये प्रति किलो थी, जो अब 2,00,750 रुपये प्रति किलो पर पहुंच चुकी है। इस तरह चांदी ने एक ही साल में 1,14,733 रुपये का उछाल दर्ज किया है।
चांदी में इस बेजोड़ तेजी के पीछे कई मजबूत वजहें मानी जा रही हैं। सबसे बड़ी वजह इसकी इंडस्ट्रियल डिमांड है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। अब चांदी सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक जरूरी इंडस्ट्रियल कच्चा माल बन चुकी है। इसके अलावा अमेरिका में संभावित टैरिफ को लेकर डर के चलते वहां की कंपनियां बड़े पैमाने पर चांदी का स्टॉक जमा कर रही हैं, जिससे ग्लोबल सप्लाई पर दबाव बढ़ा है और कीमतें ऊपर गई हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी प्रोडक्शन रुकने की आशंका के चलते पहले से खरीदारी की होड़ मची हुई है। साथ ही निवेशकों का रुझान सिल्वर ETF की ओर तेजी से बढ़ा है, जिससे निवेश मांग ने भी कीमतों को सहारा दिया है।
बाजार जानकारों का मानना है कि चांदी में यह तेजी अभी थमने वाली नहीं है। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक चांदी की डिमांड मजबूत बनी हुई है और आगे भी इसमें तेजी रहने की संभावना है। उनके अनुसार अगले एक साल में चांदी 2.50 लाख रुपये प्रति किलो तक जा सकती है, जबकि इस साल के अंत तक इसके 2.10 लाख रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
हाई रेट पर ज्वेलरी खरीदने को लेकर भी विशेषज्ञों की राय सकारात्मक है। अगर कोई सिल्वर ज्वेलरी खरीदने की योजना बना रहा है तो मौजूदा कीमतों पर भी खरीदारी की जा सकती है, क्योंकि आने वाले समय में चांदी और महंगी हो सकती है। वहीं निवेश के नजरिये से देखा जाए तो विशेषज्ञ एकमुश्त निवेश के बजाय सिल्वर ETF के जरिए हर महीने SIP के माध्यम से निवेश को ज्यादा सुरक्षित और समझदारी भरा विकल्प मानते हैं। फिलहाल सरकार की ओर से इम्पोर्ट ड्यूटी या टैक्स में किसी बड़े बदलाव की कोई ठोस संभावना नहीं जताई जा रही है।
भारत की बात करें तो देश दुनिया का सबसे बड़ा चांदी उपभोक्ता है। 2024 में भारत में लगभग 7,700 टन चांदी की खपत हुई, जिसमें से सिर्फ 10 से 20 प्रतिशत चांदी ही घरेलू स्तर पर उपलब्ध होती है, जबकि करीब 80 प्रतिशत चांदी इम्पोर्ट की जाती है। भारत में चांदी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल ज्वेलरी में होता है, लेकिन इसके अलावा सोलर पैनल, बैटरी, मेडिकल इक्विपमेंट, मोबाइल, कंप्यूटर, एलईडी लाइट्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में भी इसकी खपत लगातार बढ़ रही है।
बढ़ती कीमतों के बीच असली और नकली चांदी की पहचान करना भी जरूरी हो गया है। असली चांदी चुंबक से नहीं चिपकती, उसमें कोई गंध नहीं होती और बर्फ रखने पर वह तेजी से पिघलती है, क्योंकि चांदी गर्मी की अच्छी संवाहक होती है। सफेद कपड़े से रगड़ने पर हल्का काला निशान आना भी इसकी शुद्धता का संकेत माना जाता है।
कुल मिलाकर, चांदी ने जिस तेजी से 2 लाख रुपये का आंकड़ा पार किया है, उसने न सिर्फ निवेशकों को चौंकाया है बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि आने वाले समय में यह कीमती धातु बाजार में और बड़े रिकॉर्ड बना सकती है।