भारतीय शेयर बाजार से जुड़ी एक असाधारण कहानी ने न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया के निवेशकों का ध्यान खींच लिया है। RRP सेमीकंडक्टर का शेयर महज 20 महीनों में ऐसा उछला कि यह वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले शेयरों में शामिल हो गया। अप्रैल 2024 में करीब 15 रुपये पर ट्रेड होने वाला यह शेयर नवंबर 2025 में 11,902 रुपये तक पहुंच गया, जो इसका 52 हफ्तों का उच्चतम स्तर भी रहा। इस दौरान शेयर ने करीब 793 गुना यानी 79,000 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न दिया, जो अपने आप में अभूतपूर्व है।
इतने असामान्य उछाल ने बाजार नियामकों की चिंता बढ़ा दी। इसी वजह से भारतीय बाजार नियामक सेबी ने इस शेयर में आई तेज तेजी की जांच शुरू कर दी है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने भी कंपनी को कड़ी निगरानी में डाल दिया है। फिलहाल RRP सेमीकंडक्टर के शेयर पर 1 प्रतिशत का प्राइस बैंड लागू कर दिया गया है और इसे हफ्ते में सिर्फ एक दिन ट्रेड करने की अनुमति दी गई है। अपने उच्चतम स्तर से यह शेयर करीब 6 प्रतिशत टूट चुका है। बीएसई के आंकड़ों के अनुसार, हाल के हफ्तों में इस शेयर में औसतन सिर्फ 19 शेयरों का ही साप्ताहिक कारोबार हो रहा था, जो इसकी लिक्विडिटी पर भी सवाल खड़े करता है।
सेबी और एक्सचेंज की सख्ती के पीछे कई वजहें सामने आई हैं। कंपनी का सालाना टर्नओवर महज करीब 2 लाख 11 हजार रुपये बताया गया है, जबकि जुलाई से सितंबर 2025 की तिमाही में कंपनी को 7 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ। इसके बावजूद ट्रेडिंग रोके जाने से ठीक पहले कंपनी का मार्केट कैप 15,116 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था। 15 दिसंबर को शेयर 11,095 रुपये पर बंद हुआ था, जिसके बाद उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए।
इस शेयर को लेकर निवेशकों के बीच अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा। सितंबर 2024 में कंपनी की नई इलेक्ट्रॉनिक्स यूनिट के उद्घाटन कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और सचिन तेंदुलकर की मौजूदगी ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। कई जगह यह चर्चा फैल गई कि सचिन तेंदुलकर ने कंपनी में बड़ा निवेश किया है और महाराष्ट्र सरकार से इसे सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए जमीन मिली है। इसी दौरान दुनियाभर में सेमीकंडक्टर सेक्टर के शेयरों में आई तेजी ने भी निवेशकों को इस स्टॉक की ओर आकर्षित किया।
हालांकि कंपनी ने बार-बार एक्सचेंज फाइलिंग में साफ किया कि उसने अभी तक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग शुरू नहीं की है। कंपनी ने किसी सरकारी प्रोत्साहन योजना के तहत आवेदन नहीं किया है और न ही किसी सेलिब्रिटी के साथ उसका कोई व्यावसायिक संबंध है। इसके बावजूद शेयर की कीमत में आई बेतहाशा तेजी ने बाजार में कई सवाल खड़े कर दिए।
RRP सेमीकंडक्टर की कॉरपोरेट संरचना भी इस कहानी को और रोचक बनाती है। कंपनी में फिलहाल केवल दो कर्मचारी हैं। इसकी मौजूदा यात्रा अप्रैल 2024 में शुरू हुई, जब राजेंद्र चोडणकर ने GD ट्रेडिंग एंड एजेंसीज का अधिग्रहण किया। संस्थापकों के करीब 8 करोड़ रुपये के कर्ज को इक्विटी में बदला गया और बाद में कंपनी का नाम बदलकर RRP सेमीकंडक्टर कर दिया गया। चोडणकर के पास कंपनी की करीब 74.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बोर्ड ने उन्हें और कुछ चुनिंदा लोगों को बाजार भाव से लगभग 40 प्रतिशत कम, यानी 12 रुपये प्रति शेयर की दर से शेयर अलॉट करने की मंजूरी दी थी। आज कंपनी के लगभग 98 प्रतिशत शेयर चोडणकर और उनके करीबी लोगों के पास बताए जाते हैं।
परफॉर्मेंस की बात करें तो हाल के एक महीने में RRP सेमीकंडक्टर का शेयर करीब 2.97 प्रतिशत गिरा है, लेकिन लंबे समय के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। छह महीनों में इसने करीब 530 प्रतिशत, एक साल में लगभग 6,900 प्रतिशत और साल 2025 में अब तक करीब 5,880 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। 15 दिसंबर तक यह शेयर नियमित रूप से ट्रेड हो रहा था, लेकिन अब सेबी की जांच और एक्सचेंज की सख्ती के चलते इसकी ट्रेडिंग बेहद सीमित कर दी गई है।
कुल मिलाकर, RRP सेमीकंडक्टर की कहानी भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक असामान्य उदाहरण बन गई है, जहां बेहद कमजोर वित्तीय आधार और सीमित कारोबार के बावजूद शेयर ने रिकॉर्डतोड़ उछाल दर्ज किया। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सेबी की जांच में क्या सामने आता है और आगे इस शेयर का भविष्य किस दिशा में जाता है।