प्रदेश के पुलिसकर्मियों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। वेतन-भत्ता पुनरीक्षण के लिए गठित समिति ने अपनी सिफारिशों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जिसमें आरक्षक से लेकर निरीक्षक स्तर तक के पुलिसकर्मियों को प्रतिमाह 5 हजार रुपये विशेष पुलिस रिस्पांस एलाउंस देने का सुझाव दिया गया है। अब इस रिपोर्ट पर अंतिम फैसला गृह विभाग को लेना है।
यह समिति एडीजी एसआरपी कल्लुरी की अध्यक्षता में गठित की गई थी, जिसमें डीआईजी अरविंद कुजूर, मनीष शर्मा, वित्त नियंत्रक शंकर झा, एआईजी रोहित झा और अंशुमन सिसोदिया सदस्य के रूप में शामिल रहे। समिति ने पांच बैठकों के दौरान पुलिसकर्मियों के वेतन और भत्तों की गहन समीक्षा की। इस दौरान अन्य राज्यों में लागू भत्तों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया और पुलिस संगठनों व कर्मियों की ओर से मिले आवेदनों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
समिति की समीक्षा में यह बात सामने आई कि वर्तमान में दिए जा रहे भत्ते बढ़ती महंगाई और पुलिसकर्मियों की कार्य-प्रकृति के मुकाबले बेहद कम हैं। लंबे समय से पुलिसकर्मी अलग-अलग मदों में दिए जा रहे भत्तों में बढ़ोतरी और व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे थे, जिसके बाद इस पुनरीक्षण समिति का गठन किया गया था।
रिपोर्ट में कई मौजूदा भत्तों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की अनुशंसा की गई है। समिति ने पौष्टिक आहार भत्ता सौ रुपये से बढ़ाकर एक हजार रुपये करने, वर्दी धुलाई भत्ता 60 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये करने और रायफल भत्ता 200–300 रुपये के स्थान पर एक हजार रुपये देने का सुझाव दिया है। इसके अलावा राशन भत्ता दो हजार रुपये, एसपीएफ के लिए 2200 रुपये, निश्चित यात्रा भत्ता 75 और 100 रुपये से बढ़ाकर एक हजार रुपये, वाहन भत्ता सौ रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये और वर्दी भत्ता 800 रुपये से बढ़ाकर हर तीन वर्ष में चार हजार रुपये करने की सिफारिश भी की गई है।
इसके साथ ही समिति ने एक वैकल्पिक मॉडल भी प्रस्तावित किया है। इसके तहत राशन भत्ता और वर्दी भत्ता को छोड़कर बाकी सभी भत्तों को समाप्त कर अराजपत्रित पुलिसकर्मियों को विशेष पुलिस रिस्पांस एलाउंस के रूप में प्रतिमाह 5 हजार रुपये दिए जाने का सुझाव दिया गया है। यह एलाउंस आरक्षक से लेकर निरीक्षक स्तर तक के सभी संवर्ग के पुलिसकर्मियों पर लागू होगा।
अब समिति की रिपोर्ट सरकार के पास है और इस पर अंतिम निर्णय गृह विभाग को लेना है। अगर सिफारिशें लागू होती हैं, तो प्रदेश के हजारों पुलिसकर्मियों को आर्थिक रूप से बड़ी राहत मिलेगी और उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों को भी आंशिक रूप से पूरा किया जा सकेगा।