आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी, बिगड़ी दिनचर्या और गलत खानपान ने डायबिटीज को एक आम लेकिन खतरनाक बीमारी बना दिया है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अधिकतर लोग तब तक इसे गंभीरता से नहीं लेते, जब तक ब्लड शुगर लेवल काफी ज़्यादा नहीं बढ़ जाता। जबकि सच्चाई यह है कि डायबिटीज होने से पहले शरीर कई छोटे-छोटे संकेत देकर खुद ही सावधान करने लगता है, जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
अगर इन शुरुआती लक्षणों को समय रहते समझ लिया जाए, तो डायबिटीज को कंट्रोल करना आसान हो सकता है और कई मामलों में इसे टालना भी संभव है। इसलिए शरीर में होने वाले मामूली बदलावों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है।
डायबिटीज की शुरुआत में सबसे आम संकेत बार-बार प्यास लगना और मुंह सूखना है। बिना किसी खास वजह के अगर आपको लगातार पानी पीने की इच्छा हो रही है और मुंह सूखा-सा महसूस होता है, तो यह हाई ब्लड शुगर की ओर इशारा हो सकता है। जब खून में शुगर बढ़ जाती है, तो शरीर उसे पेशाब के ज़रिए बाहर निकालने की कोशिश करता है, जिससे डिहाइड्रेशन बढ़ने लगता है।
इसके साथ ही बार-बार पेशाब आना भी एक अहम चेतावनी है। दिन ही नहीं, रात में भी बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होना सामान्य नहीं है। ज्यादा शुगर किडनी पर दबाव डालती है, जिससे पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है और यह डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों में गिना जाता है।
अचानक थकान और कमजोरी महसूस होना भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर पूरी नींद लेने और ठीक से खाना खाने के बावजूद शरीर में सुस्ती बनी रहती है, तो इसका कारण यह हो सकता है कि ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं तक सही ढंग से नहीं पहुंच पा रहा। इससे एनर्जी लेवल गिरता है और इंसान हर समय थका-थका महसूस करता है।
डायबिटीज की शुरुआत आंखों पर भी असर डाल सकती है। अचानक धुंधला दिखना, आंखों में फोकस न बन पाना या बार-बार नजर कमजोर लगना हाई ब्लड शुगर से जुड़ा हो सकता है। शुगर लेवल बढ़ने पर आंखों के लेंस में सूजन आ जाती है, जिससे देखने में परेशानी होने लगती है।
एक और अहम संकेत है घाव भरने में ज्यादा समय लगना। अगर छोटी-सी कट या चोट भी लंबे समय तक ठीक नहीं हो रही है, तो सतर्क हो जाना चाहिए। हाई ब्लड शुगर ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करती है, जिससे घाव भरने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। यह डायबिटीज की शुरुआती चेतावनियों में से एक माना जाता है।
कुल मिलाकर, डायबिटीज अचानक नहीं होती, बल्कि धीरे-धीरे शरीर में बदलाव लाकर दस्तक देती है। अगर समय रहते इन संकेतों को पहचान लिया जाए और जीवनशैली में सुधार के साथ डॉक्टर से सलाह ली जाए, तो इस बीमारी से बचाव या उस पर नियंत्रण संभव है।
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी लक्षण या समस्या की स्थिति में डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।)