रायपुर। छत्तीसगढ़ का बस्तर अंचल लंबे समय तक नक्सलवाद, हिंसा और प्रशासनिक उपेक्षा की छाया में रहा, लेकिन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में बीते दो वर्षों में इस क्षेत्र की तस्वीर तेजी से बदली है। वर्ष 2023 के अंत में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद से ही साय ने बस्तर को केवल सुरक्षा की चुनौती के रूप में नहीं, बल्कि अपार संभावनाओं वाले क्षेत्र के तौर पर देखा। उनकी सोच साफ रही कि सुरक्षा, संवाद और विकास को एक साथ आगे बढ़ाया जाए। इसी नीति का असर है कि आज बस्तर में डर की जगह भरोसा और ठहराव की जगह प्रगति दिखाई देने लगी है।
मुख्यमंत्री साय के कार्यकाल में नक्सलवाद के खिलाफ रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला। वर्ष 2024–25 के दौरान बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जैसे अति संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों ने लगातार प्रभावी अभियान चलाए। मई 2025 में मुख्यमंत्री स्वयं बीजापुर और दंतेवाड़ा पहुंचे और डीआरजी, सीआरपीएफ व पुलिस अधिकारियों से सीधी बातचीत कर यह स्पष्ट संदेश दिया कि अब बस्तर की लड़ाई सिर्फ बंदूक से नहीं, बल्कि शिक्षा, रोजगार और विकास से जीती जाएगी। इस बदली हुई सोच का नतीजा यह रहा कि बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और सामान्य जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा।
लगातार दौरों के जरिए मुख्यमंत्री ने यह भरोसा भी कायम किया कि सरकार केवल फाइलों तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीनी हकीकत से सीधे जुड़ी हुई है। अक्टूबर 2024 में दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन और मुरिया दरबार में सहभागिता के जरिए उन्होंने सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूती दी। मई 2025 में बीजापुर और दंतेवाड़ा दौरे के दौरान सुरक्षा और विकास के संतुलन पर जोर दिया गया। सितंबर 2025 में जगदलपुर में आयोजित Bastar Investor Connect Meet के जरिए बस्तर को निवेश के नए केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया गया, जबकि दिसंबर 2025 में Bastar Olympics के उद्घाटन ने सामाजिक बदलाव को नई दिशा दी।
Bastar Olympics मुख्यमंत्री साय की उन पहलों में शामिल रहा, जिसने बस्तर के युवाओं को नई पहचान दी। खेलों के जरिए ग्रामीण और पूर्व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने का यह प्रयास केवल आयोजन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच का माध्यम बना। कबड्डी, फुटबॉल, एथलेटिक्स और तीरंदाजी जैसे खेलों में भागीदारी ने यह संदेश दिया कि बस्तर का युवा अब बंदूक नहीं, बल्कि खेल और कौशल के दम पर आगे बढ़ना चाहता है।
इसी तरह आदिवासी संस्कृति को भी मुख्यमंत्री के कार्यकाल में नया सम्मान और मंच मिला। Bastar Pandum जैसे सांस्कृतिक आयोजनों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई गई। वर्ष 2025 में इस महोत्सव को बड़े राष्ट्रीय आयोजनों से जोड़े जाने के बाद बस्तर की लोककला, नृत्य, संगीत और हस्तशिल्प को व्यापक दर्शक मिले, जिससे स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों के लिए आर्थिक अवसर भी बढ़े।
आर्थिक मोर्चे पर भी बस्तर ने नई छलांग लगाई है। सितंबर 2025 में आयोजित Bastar Investor Connect Meet के दौरान करीब 52 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव सामने आए। खनिज आधारित उद्योगों से लेकर फूड प्रोसेसिंग, पर्यटन, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे तक फैले इन प्रस्तावों ने बस्तर को विकास के नए नक्शे पर स्थापित किया। सरकार का जोर इस बात पर रहा कि निवेश के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार मिले और आदिवासी समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विजन 2047 जैसे दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों में भी बस्तर को केंद्रीय स्थान दिया है। सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, डिजिटल कनेक्टिविटी, इको-टूरिज्म और कौशल विकास को प्राथमिकता देकर यह लक्ष्य रखा गया है कि बस्तर को पूरी तरह नक्सल मुक्त और निवेश के लिए अनुकूल बनाया जाए।
कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में बस्तर अब भय और पिछड़ेपन की पुरानी छवि को पीछे छोड़कर शांति, विकास और आत्मविश्वास की ओर बढ़ रहा है। स्पष्ट नीतियों, लगातार संवाद, सांस्कृतिक सम्मान और ठोस आर्थिक पहलों के जरिए यह साफ संदेश उभरकर आया है कि बस्तर सिर्फ एक चुनौती नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के भविष्य की मजबूत नींव बन सकता है।