कांकेर जिले में चर्च में तोड़फोड़ के तीसरे दिन शीतला मंदिर में आग लगने की घटना सामने आई है। अंतागढ़ ब्लॉक स्थित कानागांव में शीतला मंदिर में तोड़फोड़ और आगजनी हुई है।
19 दिसंबर को अज्ञात असामाजिक तत्वों ने मंदिर में घुसकर देवी-देवताओं के आसन, डांग, डोली और अन्य सामग्री को आग के हवाले कर दिया। मामला अंतागढ़ थाना क्षेत्र का है।
वहीं, ग्राम बड़े तेवड़ा में धर्मांतरित शव को दफनाने की घटना के ठीक दूसरे दिन ग्राम राजपुर के 2 परिवारों ने घर वापसी की। इस घटना के बाद वे दहशत में थे। अब फिर से अपने धर्म में आ गए है।
जांच में जुटी पुलिस
इस घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है। घटना की जानकारी मिलते ही कानागांव के सरपंच अजय उइके ने पुलिस को सूचित किया। सूचना पर पुलिस के आला अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंच गए हैं और मामले की जांच शुरू कर दी है।
देवी-देवताओं को नहीं मानने वालों ने की वारदात
सरपंच अजय उइके ने बताया कि गांव की पेन व्यवस्था में मां शीतला को गांव की मालकिन माना जाता है। उन्होंने आशंका जताई कि इस घटना को ऐसे लोगों ने अंजाम दिया है जो गांव की परंपराओं और देवी-देवताओं को नहीं मानते।
ग्रामीणों का संदेह धर्मांतरित व्यक्तियों पर है। यह घटना कांकेर के आमाबेड़ा में हुई हिंसक झड़प के बाद अंतागढ़ ब्लॉक में सामने आई है, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है।
धर्मांतरित शव को दफनाने बवाल
कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र के बड़े तेवड़ा गांव में 18 दिसंबर को शव दफनाने को लेकर आदिवासी और धर्मांतरित समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई। आदिवासी समाज के लोग ईसाइयों को डंडे मारकर भगाया। इसके जवाब में धर्मांतरित समुदाय के लोगों ने आदिवासी समाज के लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।
इस गुस्साए आदिवासियों ने सरपंच के घर में तोड़फोड़ कर दी। इसके बाद आदिवासी समाज के लोगों ने गांव के चर्च में आग लगा दी। ग्रामीण इसके बाद भी नहीं रुके। 3 हजार से ज्यादा की भीड़ आमाबेड़ा पहुंची। यहां भी एक चर्च को आग के हवाले कर दिया।
दो परिवारों ने ‘घर वापसी’ की
जिले के ग्राम बड़े तेवड़ा में धर्मांतरित शव को दफनाने की घटना के ठीक दूसरे दिन 19 दिसंबर को ग्राम राजपुर के 2 परिवारों ने घर वापसी की। ग्रामीणों ने ईसाई धर्म त्यागकर पुनः अपने मूल धर्म में वापसी कर ली है।
जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत तुमसनार के आश्रित ग्राम राजपुर निवासी आसमन आंचले और देवलाल आंचले ने औपचारिक रूप से ईसाई धर्म छोड़ने की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि बड़े तेवड़ा में हुई हिंसक घटना के बाद से ग्रामीण दहशत में थे।
स्वास्थ्य कारणों से किया था धर्म परिवर्तन
परिजनों ने मीडिया से चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि उन्होंने कुछ समय पहले स्वास्थ्य कारणों से धर्म परिवर्तन का निर्णय लिया था। परिजनों का कहना है कि घर के सदस्य मानसिक रूप से विक्षिप्त थे और उन्हें उम्मीद थी कि धर्म बदलने से बीमारी ठीक हो जाएगी।
वापसी करने वाले परिवारों का कहना है कि जिस उद्देश्य (बीमारी से ठीक होने) के लिए उन्होंने मत बदला था, उसमें उन्हें कोई खास परिणाम या सुधार देखने को नहीं मिला। अंततः, बड़े तेवड़ा की घटना के बाद उपजे माहौल और अपनी व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए उन्होंने अपने मूल धर्म में लौटने का फैसला किया।