रायपुर। छत्तीसगढ़ के होटल, ढाबों और रेस्तरां में पनीर के नाम पर जो परोसा जा रहा है, वह अक्सर असली दूध से बना पनीर नहीं बल्कि सस्ता एनालॉग पनीर होता है। ग्राहक छह सौ रुपये किलो वाले शुद्ध पनीर की उम्मीद में खाना मंगवाते हैं, लेकिन उनकी प्लेट में दो सौ रुपये किलो का पाम ऑयल और मिल्क पाउडर से बना उत्पाद पहुंच जाता है। हैरानी की बात यह है कि जिन खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीमों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे फर्जीवाड़े पर लगाम कसें, वही टीमें होटल और ढाबों तक पहुंचने से बचती नजर आती हैं। नतीजा यह है कि उपभोक्ता खुलेआम ठगे जा रहे हैं और मिलावट का यह खेल बेखौफ जारी है।
अगर पहचान की बात करें तो असली पनीर और एनालॉग पनीर के फर्क को समझना मुश्किल नहीं है। असली पनीर नरम, मुलायम और स्पंजी होता है, उसमें हल्की दूधिया खुशबू और स्वाद में हल्का मीठापन महसूस होता है। इसके उलट एनालॉग पनीर रबर जैसा लचीला, सख्त और चिकनाई से भरा होता है, जिसमें दूध की जगह पाम ऑयल की महक आती है। पानी में डालने पर असली पनीर रंग नहीं बदलता, जबकि एनालॉग पनीर में मौजूद स्टार्च की वजह से पानी नीला या काला पड़ सकता है।
स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण लगातार नियमों में बदलाव कर रहा है। अब केवल यह शर्त नहीं रही कि उत्पाद पर ‘एनालॉग’ लिखा हो, बल्कि इसे छोटे पैकेट में बेचने पर भी रोक लगाने की तैयारी चल रही है। साथ ही जो व्यापारी या होटल एनालॉग पनीर को दूध से बने पनीर के रूप में बेचते पाए जाएंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया जा रहा है।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक एनालॉग पनीर असल में पाम ऑयल यानी वनस्पति घी और मिल्क पाउडर का मिश्रण होता है। इसे पाम ऑयल में मिल्क पाउडर मिलाकर तैयार किया जाता है, जबकि पारंपरिक पनीर शुद्ध दूध से बनाया जाता है। यही वजह है कि एनालॉग पनीर में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है और वह उन पोषक तत्वों से लगभग खाली होता है, जो असली पनीर में पाए जाते हैं।
पोषण विशेषज्ञों की राय भी इस पर चिंता बढ़ाने वाली है। आहार विशेषज्ञ शिल्पी गोयल का कहना है कि एनालॉग पनीर में प्रोटीन लगभग नहीं होता, इसलिए यह सेहत के लिए फायदेमंद नहीं है। पाम ऑयल और मिल्क पाउडर से बना यह उत्पाद लंबे समय तक सेवन करने पर शरीर पर नकारात्मक असर डाल सकता है। वहीं डायटिशियन डॉ. अरुणा पल्टा मानती हैं कि केमिकल या कृत्रिम चीजों से बनी किसी भी खाद्य सामग्री का नियमित उपयोग नुकसानदेह हो सकता है। एनालॉग पनीर पर भले ही अभी विस्तृत अध्ययन न हो, लेकिन चूंकि यह वास्तविक खाद्य स्रोत से नहीं बनता, इसलिए इससे दूरी बनाना ही बेहतर है।
स्वास्थ्य जोखिमों की बात करें तो एनालॉग पनीर में मौजूद स्टार्च और सिंथेटिक एडिटिव्स पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे कब्ज और पेट फूलने जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। पाम ऑयल की अधिकता कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने के साथ हृदय रोगों का खतरा बढ़ाती है। इसमें मौजूद वसा मधुमेह जैसी बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, जबकि खराब गुणवत्ता का तेल लिवर और किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालने का काम करता है। साफ है कि सस्ते के चक्कर में परोसा जा रहा यह एनालॉग पनीर स्वाद ही नहीं, सेहत से भी बड़ा समझौता है।