धर्मांतरण को लेकर उबाल: कांकेर कांड के बाद 24 दिसंबर को छत्तीसगढ़ बंद, चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी झोंकी ताकत

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छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मुद्दे पर आक्रोश खुलकर सामने आ गया है। कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र में मिशनरियों द्वारा स्थानीय जनजाति समाज पर कथित हमले और प्रशासन के रवैये को लेकर नाराजगी अब प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप लेती दिख रही है। इसी के विरोध में सर्व समाज छत्तीसगढ़ ने 24 दिसंबर को पूरे प्रदेश में बंद का आह्वान किया है, जिसे Chhattisgarh Chamber of Commerce and Industries का भी खुला समर्थन मिल गया है।

इस मुद्दे पर चैंबर के प्रदेश अध्यक्ष Satish Thourani की अध्यक्षता में सोमवार को रायपुर स्थित प्रदेश कार्यालय में व्यापारिक संगठनों और चैंबर पदाधिकारियों की अहम बैठक हुई। बैठक में कांकेर के आमाबेड़ा में हुई घटना को सुनियोजित बताते हुए पदाधिकारियों ने गहरा रोष जताया और स्पष्ट किया कि इस अन्याय के खिलाफ चुप रहना अब संभव नहीं है। बैठक की शुरुआत में चैंबर प्रदेश महामंत्री अजय भसीन ने आमाबेड़ा की पूरी घटना की जानकारी साझा की।

बैठक में पूर्व विधायक और चैंबर संरक्षक श्रीचंद सुंदरानी ने इस घटना को बेहद दर्दनाक बताते हुए कहा कि धर्मांतरण की बढ़ती घटनाएं प्रदेश की सामाजिक शांति के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि बंद को पूरी तरह सुनियोजित रखा जाए, ताकि ट्रांसपोर्टेशन और कच्चे माल से जुड़े व्यापारियों को कम से कम आर्थिक नुकसान हो, लेकिन विरोध का संदेश पूरे प्रदेश में मजबूती से जाए। वहीं पूर्व विधायक लाभचंद बाफना ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ रायपुर तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि प्रदेश के हर छोटे-बड़े व्यापारी तक इसकी गूंज पहुंचनी चाहिए, ताकि एकता का संदेश देशभर में जाए।

बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि व्यापारी इस मुद्दे पर सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराएंगे। मुख्य चौराहों पर प्रदर्शन कर समाज विरोधी घटनाओं के खिलाफ कड़े शब्दों में आक्रोश जताया जाएगा। भाटागांव व्यापारी संघ के अध्यक्ष ने भी बंद का पूर्ण समर्थन करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपने की घोषणा की है।

प्रदेश अध्यक्ष सतीश थौरानी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण अब एक गंभीर और चिंताजनक मुद्दा बन चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि षड्यंत्र और धोखे से किए जा रहे धर्मांतरण को रोकना बेहद जरूरी है, लेकिन दुर्भाग्य से कई मामलों में स्थानीय प्रशासन का रवैया पक्षपातपूर्ण नजर आया है। उन्होंने व्यापारियों से आह्वान किया कि इस अत्याचार के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना समय की मांग है। उनके इस आह्वान पर बैठक में मौजूद सभी व्यापारिक प्रतिनिधियों ने हाथ उठाकर 24 दिसंबर के छत्तीसगढ़ बंद को पूर्ण समर्थन दिया।

कुल मिलाकर, कांकेर के आमाबेड़ा कांड के बाद प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर उभरा यह आक्रोश अब सड़कों पर उतरने को तैयार है, और 24 दिसंबर का बंद छत्तीसगढ़ की राजनीति और सामाजिक माहौल में बड़ा असर डाल सकता है।

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