सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के ऑक्सीजन प्लांट-2 में 23 दिसम्बर, 2025 को सुबह के 11.17 बजे मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य आपदा जैसी आकस्मिक परिस्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया की तैयारियों को परखना था। यह मॉक ड्रिल वैधानिक दिशा-निर्देशों और विभागीय प्रोटोकॉल के अनुसार आयोजित की गई थी, जिसमें विभिन्न विभागों की आपसी तालमेल और क्रियान्वयन क्षमताओं की समीक्षा की गई।
ऑक्सीजन प्लांट-2 संयंत्र एक संवेदनशील क्षेत्र है, जहाँ 2000 टन क्षमता वाले दो लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थित हैं। इन टैंकों से जुड़े वाष्पीकरण पंपों में किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी या रिसाव, बड़ी आपदा का कारण बन सकती है। मॉक ड्रिल के दौरान यह परिकल्पित किया गया कि 23 दिसम्बर, 2025 के प्रातः काल लगभग 11:17 बजे, “ मॉक ड्रिल गतिविधि” के अंतर्गत, यांत्रिक समूह के सात कर्मी तरल ऑक्सीजन टैंक-1 के लोंक्स पंप -3 के एसएस यूनियन से रिसाव की शिकायत पर ब्रेकडाउन अनुरक्षण कार्य में संलग्न थे। अनुरक्षण के दौरान, लोकल वाल्व बंद करने के पश्चात जब एसएस यूनियन को ढीला किया जा रहा था, तो फ्लैंज पैकिंग को क्षति पहुँची, जिससे अचानक और अनियंत्रित रूप से तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) का रिसाव होने लगा। रिसाव की चपेट में आए दो कर्मियों को संभावित कोल्ड बर्न का खतरा उत्पन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि, -183 डिग्री सेल्सियस तापमान वाली तरल ऑक्सीजन के रिसाव से गंभीर कोल्ड बर्न तथा उच्च ऑक्सीजन वातावरण में लंबे समय तक रहने पर गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं और अग्नि जोखिम की आशंका रहती है।
तरल ऑक्सीजन का रिसाव एक गंभीर दुर्घटना को जन्म दे सकता था। जैसे ही रिसाव हुआ, यांत्रिक कर्मचारियों ने तत्काल चेतावनी दी और पास में कार्यरत विद्युत कर्मियों ने घटना की सूचना ओपी-2 के शिफ्ट मैनेजर को दी। स्थिति का आकलन कर आपात प्रोटोकॉल सक्रिय किए गए।
सहायक प्रबंधक (ओपी-2) श्री हेमंत कुमार अमरिया, जो घटनास्थल की निगरानी कर रहे थे, उन्होंने इंसिडेंट कंट्रोलर की भूमिका निभाते हुए आपातकालीन सायरन बजाया एवं महाप्रबंधक (ओपी-2) श्री मोहम्मद नदीम खान को सूचना दी, जिन्होंने वर्क इन्सिडेंट कंट्रोलर की भूमिका में मुख्य महाप्रबंधक (यूटिलिटीज) श्री जे पी सिंह, चीफ इन्सिडेंट कंट्रोलर, को सूचित किया। इसके बाद तत्काल निकासी आदेश जारी किए गए और ओपी-2 कंट्रोल रूम द्वारा सभी आपात एजेंसियों को संदेश भेजा गया।
घटना की सूचना 11:19 बजे दर्ज की गई और 11:21 बजे आपातकालीन सायरन बजाया गया और सभी सम्बंधित एजेंसियों को सूचना दी गयी। सीआईएसएफ की टीम पहुँची और क्षेत्र की घेराबंदी कर अनधिकृत प्रवेश को रोका एवं वाहन संचालन नियंत्रित किया।
अन्य विभागीय एवं बाह्य एजेंसियाँ जैसे कि अग्निशमन, मेन मेडिकल पोस्ट, एसईडी, सिविल डिफेंस, पर्यावरण प्रबंधन एवं मानव संसाधन की टीमें समय पर पहुँच गईं और स्थिति पर तत्काल नियंत्रण करने और फाल्ट को दुरुस्त करने का प्रयास किया गया। स्थिति पर नियंत्रण पाते ही “ऑल क्लियर” सायरन 11:36 बजे बजाया गया।
इस मॉक ड्रिल के बाद पोस्ट-ड्रिल समीक्षा बैठक श्री जे. पी. सिंह मुख्य महाप्रबंधक (यूटिलिटीज) की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में मो. नदीम खान महाप्रबंधक (ओ.पी.-2), श्री अभिषेक कुमार अग्निशमन अधिकारी, श्री एस आर शेंडे महाप्रबंधक (सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवाएं), श्री बी, ए, राव (ए.एस.आई) सी आई एस एफ सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
संयंत्र की सुरक्षा संरचना की संपूर्ण कार्यकुशलता और विभिन्न एजेंसियों के बीच सुचारू समन्वय को यह मॉक ड्रिल एक बार पुनः सफलतापूर्वक दर्शाने में सक्षम रही।