अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने साल की तीसरी तिमाही में उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका की जीडीपी 4.3 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ी है, जो पिछले दो वर्षों में सबसे तेज वृद्धि मानी जा रही है। यह आंकड़ा बाजार के अनुमानों से काफी ऊपर रहा, क्योंकि ज्यादातर अर्थशास्त्री करीब 3.3 प्रतिशत की ग्रोथ की उम्मीद कर रहे थे। इससे पहले दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि 3.8 प्रतिशत दर्ज की गई थी, यानी तीसरी तिमाही में रफ्तार और तेज हो गई।
इस मजबूती के पीछे सबसे बड़ा कारण अमेरिकी उपभोक्ताओं का बढ़ा हुआ खर्च रहा। तीसरी तिमाही में उपभोक्ता खर्च 3.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जबकि दूसरी तिमाही में यह बढ़ोतरी 2.5 प्रतिशत तक सीमित थी। खास बात यह रही कि खर्च में आई इस तेजी का बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद से जुड़ा था। दरअसल, 30 सितंबर को इलेक्ट्रिक वाहनों पर मिलने वाले टैक्स क्रेडिट की समय-सीमा खत्म होने वाली थी, जिसके चलते लोगों ने समय से पहले गाड़ियां खरीदनी शुरू कर दीं। इसका नतीजा यह हुआ कि सितंबर तक वाहन बिक्री में तेज उछाल दिखा, लेकिन अक्टूबर और नवंबर में मोटर व्हीकल्स की बिक्री में साफ गिरावट दर्ज की गई। इससे यह संकेत मिलता है कि खर्च में दिखी यह मजबूती स्थायी नहीं, बल्कि अस्थायी थी।
इन मजबूत आंकड़ों के बावजूद अर्थशास्त्रियों ने कुछ सावधानियां भी जताई हैं। दरअसल, 43 दिनों तक चले सरकारी शटडाउन के कारण इन आंकड़ों का प्रकाशन देर से हुआ और इस दौरान आर्थिक हालात में बदलाव भी आ चुके हैं। गैर-दलीय संस्था Congressional Budget Office का अनुमान है कि इस शटडाउन का असर चौथी तिमाही की जीडीपी पर पड़ सकता है और इसमें 1 से 2 प्रतिशत अंक तक की कटौती हो सकती है। भले ही इसका कुछ हिस्सा बाद में रिकवर हो जाए, लेकिन 7 से 14 अरब डॉलर का नुकसान स्थायी रूप से रहने की आशंका जताई जा रही है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि उपभोक्ता खर्च सभी वर्गों में समान रूप से नहीं बढ़ रहा। सर्वेक्षण बताते हैं कि खर्च में इजाफा मुख्य रूप से उच्च आय वर्ग के लोगों के कारण हुआ है। शेयर बाजार में तेजी से उनकी संपत्ति में बढ़ोतरी हुई, जिससे वे ज्यादा खर्च करने में सक्षम रहे। दूसरी ओर, मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोग महंगाई और बढ़ती जीवन-यापन लागत के दबाव से जूझते नजर आए। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लागू की गई व्यापक टैरिफ नीति ने आयातित वस्तुओं को महंगा बना दिया है, जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ा है।
इसी असंतुलन को विशेषज्ञ ‘के-आकार की अर्थव्यवस्था’ के रूप में देख रहे हैं, जहां एक वर्ग आर्थिक तेजी का फायदा उठाकर ऊपर की ओर बढ़ रहा है, जबकि दूसरा वर्ग महंगाई और खर्च के दबाव में पीछे छूटता जा रहा है। कुल मिलाकर, तीसरी तिमाही के आंकड़े अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती जरूर दिखाते हैं, लेकिन इसके भीतर छिपी असमानताएं और आगे की चुनौतियां भी उतनी ही साफ नजर आती हैं।