छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में बुधवार को आमाबेड़ा प्रकरण और महाबंद के आह्वान का असर साफ दिखाई दिया। कांकेर जिला के आमाबेड़ा क्षेत्र में आदिवासियों के कथित धर्मांतरण से जुड़े घटनाक्रम के विरोध में बुलाए गए बंद के चलते शहर के प्रमुख बाजार पूरी तरह बंद रहे। इस दौरान व्यापारिक संगठनों, नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की व्यापक भागीदारी ने बंद को प्रभावी बनाया, वहीं राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा की अगुवाई में निकली रैली ने माहौल को और मुखर कर दिया।
सुबह से ही सदर रोड, गांधी चौक और मंडी रोड जैसे प्रमुख व्यापारिक इलाकों में दुकानें नहीं खुलीं। हिंदू संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता नगर में घूमकर व्यापारियों से शांतिपूर्ण तरीके से समर्थन की अपील करते दिखे। छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से भी महाबंद को पूर्ण समर्थन दिए जाने के बाद व्यापारियों में एकजुटता और स्पष्ट हुई। पूरे दिन प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखी और नगर में शांति व्यवस्था बनी रही।
महाबंद को सफल बनाने के लिए शहर में एक विशाल, अनुशासित और शांतिपूर्ण रैली निकाली गई, जिसका नेतृत्व राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने किया। रैली में चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी, नगर पालिका अध्यक्ष, विभिन्न जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आम नागरिक शामिल हुए। खास बात यह रही कि रैली में महिलाओं की भी उल्लेखनीय भागीदारी देखी गई, जिससे सामाजिक समर्थन का दायरा और व्यापक नजर आया।
रैली सदर रोड से शुरू होकर गांधी चौक और मंडी रोड सहित शहर के मुख्य मार्गों से गुजरती हुई पूरे नगर में भ्रमण करती रही। इस दौरान मंत्री वर्मा ने लोगों से संयम, अनुशासन और शांति बनाए रखने की अपील की। उनका कहना था कि लोकतांत्रिक देश में किसी भी व्यक्ति को लालच, दबाव या प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण के लिए मजबूर करना पूरी तरह गलत है और समाज को ऐसे मामलों में जागरूक व एकजुट रहना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि बंद का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि समाज की भावनाओं को शांतिपूर्ण ढंग से सामने रखना है।
व्यापारिक संगठनों ने भी समर्थन के पीछे अपनी भावना स्पष्ट की। चैंबर प्रतिनिधियों ने कहा कि व्यापारी समाज इस घटना से आहत है और सर्वसम्मति से बंद का समर्थन किया गया ताकि विरोध दर्ज हो सके और समाज में स्पष्ट संदेश जाए। उनके अनुसार, यह समर्थन दिखाता है कि धर्मांतरण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर समाज एक स्वर में खड़ा है।
कुल मिलाकर, बालौदाबाजार में बंद और रैली ने यह संकेत दिया कि आमाबेड़ा प्रकरण को लेकर जनभावनाएं प्रबल हैं और विभिन्न वर्गों की शांतिपूर्ण भागीदारी ने आंदोलन को व्यापक समर्थन दिया।