निजी क्षेत्र के IndusInd Bank में सामने आई डेरिवेटिव पोर्टफोलियो से जुड़ी अकाउंटिंग गड़बड़ी की जांच अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार के अधीन Serious Fraud Investigation Office (SFIO) ने इस मामले में औपचारिक जांच शुरू कर दी है। बैंक के मुताबिक इस कथित अकाउंटिंग धोखाधड़ी से उसे करीब ₹1,960 करोड़ का वित्तीय नुकसान हुआ है। बैंक ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि 23 दिसंबर को उसे SFIO की ओर से जांच संबंधी पत्र प्राप्त हुआ।
दिलचस्प बात यह है कि SFIO की यह कार्रवाई ऐसे समय सामने आई है, जब Mumbai Police Economic Offences Wing (EOW) अपनी प्रारंभिक जांच को बंद करने की तैयारी में है। मुंबई पुलिस की ईओडब्ल्यू अगस्त से इस मामले की पड़ताल कर रही थी, लेकिन अब तक की जांच में फंड की हेराफेरी या गबन का कोई ठोस सबूत नहीं मिला। इसी आधार पर ईओडब्ल्यू का कहना है कि प्रारंभिक शिकायत या एफआईआर दर्ज करने की जरूरत नहीं बनती।
हालांकि, बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में सामने आई अकाउंटिंग अनियमितताओं को गंभीर मानते हुए अब SFIO ने अलग स्तर पर जांच का जिम्मा संभाल लिया है। माना जा रहा है कि यह जांच बैंक के आंतरिक अकाउंटिंग सिस्टम, जोखिम प्रबंधन और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं की गहराई से समीक्षा करेगी।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, SFIO की एंट्री से मामला अब सिर्फ पुलिस जांच तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें कॉरपोरेट गवर्नेंस और नियामकीय चूक के पहलुओं की भी पड़ताल हो सकती है। निवेशकों और बैंकिंग सेक्टर की नजरें अब इस जांच पर टिकी हैं, क्योंकि इसके नतीजे न सिर्फ इंडसइंड बैंक, बल्कि पूरे निजी बैंकिंग क्षेत्र के लिए अहम संकेत दे सकते हैं।