कई लोगों के पास ऐसा क्रेडिट कार्ड होता है जो महीनों से इस्तेमाल में नहीं आया होता—पिन भूल चुके, ऐप शायद ही खुलता हो और मन में बार-बार यही सवाल उठता है कि इसे बंद ही कर दिया जाए। सुनने में यह फैसला साफ-सुथरा लगता है, लेकिन हकीकत यह है कि क्रेडिट स्कोर आपकी आदतों को भावनाओं से नहीं, बल्कि नंबरों से पढ़ता है। कार्ड बंद करते ही आपकी प्रोफाइल पर असर पड़ सकता है, भले ही खर्च में कोई बदलाव न हुआ हो।
क्रेडिट स्कोर का एक अहम पैमाना है क्रेडिट यूटिलाइजेशन, यानी कुल उपलब्ध लिमिट में से आप कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। जैसे ही कोई कार्ड बंद होता है, आपकी कुल लिमिट घट जाती है। अगर खर्च वही रहता है, तो इस्तेमाल का प्रतिशत अपने आप बढ़ जाता है और प्रोफाइल ज्यादा “टाइट” दिखने लगती है। यही वजह है कि कई बार कार्ड बंद करने के बाद स्कोर में हल्की गिरावट नजर आती है—खर्च बदला नहीं, गणित बदल गया।
इतना ही नहीं, क्रेडिट हिस्ट्री की उम्र भी स्कोर के लिए मायने रखती है। पुराने अकाउंट यह संकेत देते हैं कि आपने लंबे समय तक जिम्मेदारी से क्रेडिट संभाला है। अगर बंद किया जाने वाला कार्ड सबसे पुराना है, तो आपकी औसत क्रेडिट उम्र कम हो सकती है। जिनके पास सीमित क्रेडिट प्रोडक्ट हैं, उनके लिए यह झटका ज्यादा महसूस होता है, खासकर तब जब स्कोर की गणना जैसे मानकों पर होती है जो भारत में आम तौर पर CIBIL जैसी एजेंसियां देखती हैं।
दिलचस्प बात यह है कि अनयूज्ड कार्ड भी कई बार आपके लिए बफर का काम करता है। भले ही आप उससे खर्च न करें, उसकी लिमिट कुल यूटिलाइजेशन को नीचे रखती है और लेंडर्स को यह संकेत देती है कि आपके पास अतिरिक्त खर्च संभालने की क्षमता है। बड़े लोन—जैसे होम या कार लोन—से पहले यह बफर प्रोफाइल को संतुलित दिखाने में मदद कर सकता है।
फिर भी हर कार्ड को खुला रखना सही नहीं होता। अगर किसी कार्ड पर सालाना फीस लगती है और बदले में फायदा नहीं मिल रहा, या अगर पहले ओवरस्पेंडिंग की समस्या रही है, या आप कार्ड को मॉनिटर नहीं करते और फ्रॉड का जोखिम लगता है—तो बंद करना समझदारी हो सकती है। फर्क बस इतना है कि फैसला सोच-समझकर लिया जाए।
अगर बंद करना ही है, तो नुकसान कम करने के तरीके भी हैं। सबसे पुराने नो-फीस कार्ड को बंद करने से बचें, नया कार्ड बंद करने का असर अपेक्षाकृत कम होता है। किसी बड़े लोन से ठीक पहले कार्ड न बंद करें और यह जरूर जांच लें कि बंद करने के बाद यूटिलाइजेशन बहुत ज्यादा तो नहीं बढ़ रहा। अगर कार्ड लाइफटाइम फ्री है, तो उसे खुला रखना अक्सर बेहतर रहता है—ऐप में कार्ड लॉक कर दें, ऑनलाइन या इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन बंद रखें और कभी-कभार छोटा खर्च करके पूरा बिल चुका दें। इससे कार्ड एक्टिव भी रहेगा और अनावश्यक खर्च का लालच भी नहीं बढ़ेगा।
निष्कर्ष यही है कि इस्तेमाल में नहीं आ रहे क्रेडिट कार्ड को बंद करना हमेशा गलत नहीं, लेकिन यह कभी भी न्यूट्रल फैसला नहीं होता। अगर कार्ड महंगा, जोखिम भरा या तनाव देने वाला है, तो सोच-समझकर विदा करें। और अगर वह लाइफटाइम फ्री है, तो उसे खुला रखना अक्सर आपके क्रेडिट स्कोर के लिए सबसे आसान और सुरक्षित रास्ता साबित होता है।