आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दौड़ अब रोमांचक से ज्यादा महंगी और निर्मम होती जा रही है। एआई के फ्रंटियर पर बने रहने के लिए कंपनियां न सिर्फ एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रही हैं, बल्कि टैलेंट छीनने की होड़ में भी उतर चुकी हैं। इसी बीच Microsoft AI के सीईओ मुस्तफा सुलेमान ने इंडस्ट्री को लेकर एक कड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि आने वाले 5 से 10 वर्षों में एआई की इस रेस में टिके रहने के लिए कंपनियों को सैकड़ों अरब डॉलर तक का निवेश करना पड़ सकता है।
एक पॉडकास्ट बातचीत में सुलेमान ने साफ किया कि यह खर्च केवल सर्वर या हार्डवेयर तक सीमित नहीं है। एआई अब ऐसे मोड़ पर पहुंच चुकी है, जहां विशाल डेटा सेंटर्स, हाई-एंड एआई चिप्स, लगातार बढ़ती कंप्यूटिंग पावर और अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी पूंजी झोंकनी पड़ रही है। इसके साथ ही स्पेशलाइज्ड एआई टैलेंट की मांग ने लागत को और ऊपर धकेल दिया है। कंपनियां एक-दूसरे से टॉप रिसर्चर्स और इंजीनियर्स को खींचने के लिए रिकॉर्ड सैलरी और पैकेज ऑफर कर रही हैं, जिससे यह जंग और भी महंगी बनती जा रही है।
सुलेमान के मुताबिक, एआई अब सिर्फ इनोवेशन की कहानी नहीं रही, बल्कि यह आर्थिक सहनशक्ति की परीक्षा बन चुकी है। जो कंपनियां इस निवेश को लंबे समय तक झेल नहीं पाएंगी, उनके लिए फ्रंटियर एआई में टिके रहना मुश्किल होगा। यही वजह है कि आने वाले वर्षों में एआई इंडस्ट्री में कंसोलिडेशन देखने को मिल सकता है, जहां केवल वही खिलाड़ी बचे रहेंगे जिनके पास पर्याप्त पूंजी, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतरीन टैलेंट होगा।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब दुनियाभर की टेक कंपनियां एआई को भविष्य की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी मानकर उस पर आक्रामक दांव लगा रही हैं। लेकिन सुलेमान की चेतावनी यह भी संकेत देती है कि यह रेस हर किसी के बस की नहीं होगी। एआई का भविष्य जितना चमकदार दिख रहा है, उसकी कीमत उतनी ही भारी साबित हो सकती है—जहां तकनीक से ज्यादा निर्णायक भूमिका पैसे और लोगों की होगी।