साल 2025 के आख़िरी कारोबारी दिनों में कीमती धातुओं ने रफ्तार पकड़ ली है। 29 दिसंबर को सोना और चांदी दोनों में तेज़ उछाल देखने को मिला, जिससे निवेशकों के चेहरे खिले हैं, लेकिन आम उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गई है। शादी-विवाह और त्योहारों के सीज़न में पारंपरिक रूप से खरीदे जाने वाले सोना-चांदी अब ऊंचे भाव के कारण आम बजट से दूर होते दिख रहे हैं। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, Multi Commodity Exchange पर गोल्ड फ्यूचर्स 1,39,940 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बंद हुआ, जबकि घरेलू सर्राफा बाजार में 24 कैरेट सोना 1,41,210 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया। 22 कैरेट सोना 1,29,440 रुपये और 18 कैरेट सोना 1,05,910 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर कारोबार करता दिखा।
चांदी की बात करें तो इसकी चमक और भी तेज़ रही। भाव 2,50,900 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं, जो ऐतिहासिक रूप से बेहद ऊंचा स्तर माना जा रहा है। यह तेजी सिर्फ घरेलू कारणों से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संकेतों से भी ताकत पा रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व से जुड़ी नीतिगत अनिश्चितताएं, नए चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं और आगे चलकर ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद ने सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ा दी है। जब ब्याज दरों में नरमी की संभावना बनती है, तो निवेशक जोखिम से बचने के लिए सोना-चांदी जैसे सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख करते हैं।
वैश्विक व्यापार तनाव, भू-राजनीतिक टकराव, डॉलर पर निर्भरता कम करने की कोशिशें और मौद्रिक नीति में ढील जैसे कारक भी कीमती धातुओं को सहारा दे रहे हैं। चांदी के मामले में औद्योगिक मांग ने आग में घी का काम किया है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में बढ़ती खपत के चलते चांदी को अतिरिक्त मजबूती मिल रही है। देश के प्रमुख शहरों में भी भाव रिकॉर्ड स्तर पर हैं—दिल्ली, मुंबई, पटना और कोलकाता में चांदी 2,50,900 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जबकि चेन्नई में यह 2,73,900 रुपये तक पहुंच चुकी है।
कुल मिलाकर संकेत यही हैं कि 2026 में भी सोना और चांदी मजबूत बने रह सकते हैं। निवेशकों के लिए यह रुझान फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन आम खरीदारों के लिए ऊंचे दाम जेब पर और भारी पड़ने की आशंका है।