मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग यानी Madhya Pradesh Public Service Commission एक बार फिर अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सवालों के घेरे में आ गया है। असिस्टेंट प्रोफेसर (कंप्यूटर साइंस) परीक्षा को लेकर शुक्रवार 26 दिसंबर को जारी किए गए एडमिट कार्ड में गंभीर त्रुटियां सामने आईं, जिससे अभ्यर्थियों में भ्रम और असमंजस की स्थिति बन गई। हालात ऐसे बने कि एडमिट कार्ड जारी होने के करीब एक घंटे के भीतर ही आयोग को उसका डाउनलोड लिंक बंद करना पड़ा।
दरअसल, जारी किए गए एडमिट कार्ड के निर्देशों में परीक्षा पैटर्न को लेकर गलत जानकारी दी गई थी। इसमें नेगेटिव मार्किंग का उल्लेख करते हुए लिखा गया कि एक गलत उत्तर पर एक अंक काटा जाएगा और सही उत्तर पर तीन अंक मिलेंगे, जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर कंप्यूटर साइंस की परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग का कोई प्रावधान ही नहीं है और प्रत्येक प्रश्न चार अंकों का होता है। इस गलती ने उम्मीदवारों को मानसिक तनाव में डाल दिया, क्योंकि परीक्षा में अब महज एक हफ्ते से भी कम समय बचा है।
उम्मीदवारों के विरोध और मीडिया के सवालों के बाद शनिवार को आयोग ने आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि एडमिट कार्ड में त्रुटि हुई है। हालांकि, गलती मान लेने के बावजूद शनिवार शाम तक रिवाइज्ड एडमिट कार्ड दोबारा जारी नहीं किए गए, जिससे अभ्यर्थियों की चिंता और बढ़ गई। कई उम्मीदवारों का कहना है कि आयोग के मैनेजमेंट को खुद इस गड़बड़ी का अंदाजा तब हुआ, जब सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए मामला सामने आया।
असिस्टेंट प्रोफेसर कंप्यूटर साइंस की परीक्षा 4 जनवरी 2026 को दो सत्रों में आयोजित की जानी है और संभावित परीक्षा शहर इंदौर बताया गया है। परीक्षा नजदीक होने के बावजूद एडमिट कार्ड को लेकर बनी अनिश्चितता ने तैयारी कर रहे उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। परीक्षा केंद्र और नियमों को लेकर स्पष्टता न होना भी अभ्यर्थियों के बीच बेचैनी का कारण बना हुआ है।
आयोग की ओर से यह सफाई दी गई है कि एडमिट कार्ड के निर्देशों में नेगेटिव मार्किंग का उल्लेख तकनीकी त्रुटि के कारण हो गया। MPPSC ने भरोसा दिलाया है कि जैसे ही रिवाइज्ड लिंक दोबारा जारी किया जाएगा, सभी उम्मीदवार नया एडमिट कार्ड वेबसाइट से डाउनलोड कर सकेंगे। जिन्होंने पहले एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लिया है, वे भी संशोधित संस्करण दोबारा डाउनलोड कर पाएंगे।
इस पूरे मामले ने आयोग की आंतरिक प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आमतौर पर सरकारी दस्तावेज जारी करने से पहले टाइपिंग के बाद सीनियर अधिकारियों द्वारा प्रूफरीडिंग की जाती है, ताकि किसी तरह की भ्रामक या गलत जानकारी सार्वजनिक न हो। इसके बावजूद परीक्षा जैसे संवेदनशील मामले में इस तरह की गलती सामने आना MPPSC की विश्वसनीयता पर असर डाल रहा है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आयोग कब तक संशोधित एडमिट कार्ड जारी कर उम्मीदवारों की अनिश्चितता दूर करता है।