शाह का बड़ा संदेश: असम मॉडल से पूरे देश में घुसपैठ पर प्रहार, गोपीनाथ बोरदोलोई के संघर्ष को किया याद

Spread the love

असम के नौगांव में बटाद्रवा स्थान पुनर्विकास परियोजना के उद्घाटन के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने देश की राजनीति और सुरक्षा से जुड़ा एक सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की गई है, उसी मॉडल को पूरे देश में लागू किया जाएगा। शाह ने दावा किया कि मुख्यमंत्री Himanta Biswa Sarma के नेतृत्व में असम में घुसपैठियों से एक लाख बीघा से अधिक जमीन मुक्त कराई गई है और यह सिर्फ शुरुआत है।

अपने भाषण में अमित शाह ने असम के इतिहास को याद करते हुए कहा कि अगर असम के महान स्वतंत्रता सेनानी Gopinath Bordoloi नहीं होते, तो आज न सिर्फ असम बल्कि पूरा नॉर्थ ईस्ट भारत का हिस्सा नहीं होता। उन्होंने कहा कि गोपीनाथ बोरदोलोई ने तत्कालीन नेतृत्व पर दबाव बनाकर Jawaharlal Nehru को असम को भारत में बनाए रखने के लिए मजबूर किया था। शाह के इस बयान को असम की अस्मिता और राष्ट्रीय एकता से जोड़कर देखा जा रहा है।

गृह मंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने बीते वर्षों में उग्रवादी संगठनों के साथ कई शांति समझौते किए हैं और उनमें से 92 प्रतिशत शर्तें पूरी की जा चुकी हैं। इसका नतीजा यह है कि असम में आज शांति और विकास का माहौल पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो लोग घुसपैठियों को वोट बैंक मानते हैं, वे असम को कभी सुरक्षित नहीं बना सकते, जबकि भाजपा ने यह करके दिखाया है।

इस मौके पर अमित शाह ने 227 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्विकसित बटाद्रवा थान स्थित Srimanta Sankardev के आविर्भाव क्षेत्र का उद्घाटन किया। यह स्थान नव-वैष्णव धर्म का प्रमुख केंद्र और असम की सांस्कृतिक एकता व आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक माना जाता है। शाह का पारंपरिक सत्त्रिया नृत्य और संगीत के साथ स्वागत किया गया और उन्होंने गुरु आसन वाले मुख्य भवन में दर्शन भी किए। यह परियोजना 2021–22 के राज्य बजट में स्वीकृत हुई थी, जिसका उद्देश्य शंकरदेव के जीवन-दर्शन, आदर्शों और सांस्कृतिक योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह परियोजना महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की विरासत के सम्मान के साथ-साथ असम के नामघर, सत्र और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है। अमित शाह ने अपने भाषण में यह भी तंज कसा कि असम ने Manmohan Singh को राज्यसभा भेजा, लेकिन वे अपने पूरे कार्यकाल में असम केवल कुछ ही बार आए।

कुल मिलाकर, नौगांव से अमित शाह का यह बयान सिर्फ एक कार्यक्रम तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें घुसपैठ, राष्ट्रीय सुरक्षा, असम की ऐतिहासिक भूमिका और सांस्कृतिक पुनर्जागरण—चारों का सशक्त संदेश एक साथ देखने को मिला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *