छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में धान खरीदी के लिए लागू की गई ऑनलाइन टोकन व्यवस्था अब किसानों के लिए राहत नहीं, बल्कि बड़ी परेशानी बनती जा रही है। बीते एक महीने से टोकन कटवाने में आ रही दिक्कतों से परेशान सैकड़ों किसान 29 दिसंबर को कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और प्रशासन के सामने अपनी पीड़ा रखी। अधिकारियों से आश्वासन मिलने के बाद किसान लौट तो गए, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है और असंतोष लगातार गहराता जा रहा है।
किसानों का कहना है कि धान बेचने के लिए वे रोज समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन टोकन नहीं कट पा रहा। मोबाइल और डिजिटल प्रक्रिया की जानकारी न होने के कारण अधिकांश किसान इस सिस्टम में फंसकर रह गए हैं। उनका कहना है कि वे तकनीक के जानकार नहीं, बल्कि मेहनत करके फसल उगाने वाले लोग हैं। ऐसे में ऑनलाइन टोकन जैसी व्यवस्था ने उन्हें खरीदी केंद्रों से बाहर खड़ा कर दिया है।
धीरे-धीरे यह नाराजगी सरकार तक भी पहुंचने लगी है। किसानों का आरोप है कि एक-एक दाना खरीदने के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत में ऑनलाइन टोकन और “लिमिट फुल” का हवाला देकर धान खरीदी से बचा जा रहा है। कई किसानों पर एक से डेढ़ लाख रुपये तक का कर्ज है, जिसे चुकाने का एकमात्र जरिया धान बिक्री है। लिमिट नहीं बढ़ने और टोकन नहीं मिलने की स्थिति में कर्ज कैसे उतरेगा—यह सवाल किसानों को भीतर तक बेचैन कर रहा है।
किसानों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला और धान खरीदी सुचारु नहीं हुई, तो वे चक्का जाम जैसे कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। प्रशासन के सामने फिलहाल चुनौती यही है कि वह ऑनलाइन व्यवस्था और जमीनी हकीकत के बीच की खाई को कैसे पाटता है, ताकि किसान को उसका हक समय पर मिल सके।