छत्तीसगढ़ इन दिनों ठंड की तीखी मार झेल रहा है। उत्तर और मध्य हिस्सों में चल रही सर्द हवाओं ने जनजीवन को ठिठुरा दिया है। सरगुजा और मैनपाट जैसे पहाड़ी इलाकों में हालात इतने सख्त हो गए कि ओस की बूंदें जमकर बर्फ में तब्दील हो गईं। मैनपाट में रात का तापमान गिरकर करीब 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे खुले मैदानों, घास और पौधों पर पाले की मोटी परत साफ देखी जा रही है।
प्रदेश के कई शहरों में न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी नीचे चला गया है। दुर्ग में रात का पारा सामान्य से 5.3 डिग्री कम रिकॉर्ड किया गया, जबकि रायपुर में भी न्यूनतम तापमान औसत से 4.2 डिग्री नीचे रहा। बीते 24 घंटों में अंबिकापुर प्रदेश का सबसे ठंडा शहर रहा, जहां न्यूनतम तापमान 4.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं जगदलपुर में दिन का तापमान अपेक्षाकृत ज्यादा रहा और अधिकतम तापमान 29.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर और मध्य छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में शीतलहर चल सकती है। हालांकि, विभाग का अनुमान है कि आने वाले पांच दिनों में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री की बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे कड़ाके की ठंड से कुछ राहत मिलने की संभावना है। फिलहाल प्रदेश में मौसम शुष्क बना हुआ है, लेकिन सुबह-शाम ठंड का असर तेज बना हुआ है।
इस भीषण ठंड का सबसे ज्यादा असर बच्चों की सेहत पर देखा जा रहा है। रायपुर के अंबेडकर अस्पताल समेत निजी अस्पतालों में पिछले एक महीने के भीतर हाइपोथर्मिया के 400 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों का शरीर वयस्कों की तुलना में तेजी से ठंडा होता है। नवजातों में मांसपेशियां पूरी तरह विकसित नहीं होने के कारण वे ठंड को सहन नहीं कर पाते। खासतौर पर सीजेरियन डिलीवरी से जन्मे शिशुओं में हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा रहता है, जिसके चलते कई मामलों में बच्चों को NICU और SNCU में भर्ती करना पड़ रहा है।
ठंड के बढ़ते असर से अस्पतालों की ओपीडी में भीड़ बढ़ गई है। वायरल फीवर, सर्दी-खांसी और सांस से जुड़ी समस्याओं के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अंबेडकर अस्पताल में मेडिसिन, पीडियाट्रिक और चेस्ट विभाग में सैकड़ों मरीज रोज पहुंच रहे हैं, जबकि रोजाना दो हजार से ज्यादा लोग ओपीडी में इलाज के लिए आ रहे हैं।
ठंड और तापमान में उतार-चढ़ाव के बीच मलेरिया फैलने का खतरा भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि दिन और रात के तापमान में बड़ा अंतर मच्छरों के लिए अनुकूल परिस्थितियां बना रहा है। ऐसे में ग्रामीण और जंगल क्षेत्रों में अगले कुछ दिनों तक मलेरिया संक्रमण का जोखिम बढ़ा हुआ माना जा रहा है। डॉक्टरों ने लोगों को सतर्क रहने, पानी जमा न होने देने और मच्छरदानी के इस्तेमाल की सलाह दी है।
शीतलहर के असर को देखते हुए रायपुर नगर निगम ने भी राहत के कदम उठाए हैं। शहर के 12 से अधिक स्थानों पर रातभर अलाव जलाने की व्यवस्था की गई है, ताकि बेघर, राहगीरों और जरूरतमंद लोगों को ठंड से राहत मिल सके। मेयर मीनल चौबे और नगर निगम कमिश्नर विश्वदीप के निर्देश पर अधिकारी रात में फील्ड में रहकर व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने भी एडवाइजरी जारी कर लोगों से अपील की है कि शीतलहर के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचें और बाहर निकलते समय पूरी तरह गर्म कपड़े पहनें। डॉक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम में लापरवाही भारी पड़ सकती है, इसलिए खुद भी सतर्क रहें और बच्चों व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें।