ITR का आज आखिरी मौका: 70 लाख से ज्यादा रिटर्न अटके, डेडलाइन चूकी तो टैक्स का बोझ 70% तक बढ़ सकता है

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वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न से जुड़ा आज का दिन करदाताओं के लिए बेहद अहम है। 31 दिसंबर यानी आज रिवाइज्ड और बिलेटेड रिटर्न फाइल करने या उसमें सुधार करने की आखिरी तारीख है। इसके बाद टैक्सपेयर्स अपनी तरफ से रिटर्न में कोई भी बदलाव नहीं कर पाएंगे। देशभर में इस समय 70 लाख से ज्यादा ऐसे करदाता हैं जिनका रिटर्न अभी तक प्रोसेस नहीं हुआ है और बड़ी संख्या में लोगों का रिफंड भी अटका हुआ है।

Income Tax Department की ओर से हाल के दिनों में कई टैक्सपेयर्स को फॉर्म-16 और ITR के बीच अंतर को लेकर अलर्ट भेजे गए हैं। नियम साफ है कि 31 दिसंबर की डेडलाइन खत्म होते ही स्वैच्छिक रूप से रिटर्न सुधारने का विकल्प खत्म हो जाएगा। इसके बाद अगर विभाग को किसी तरह की गड़बड़ी नजर आती है, तो सीधे नोटिस या टैक्स डिमांड भेजी जा सकती है और करदाता के पास सफाई देने का विकल्प सीमित रह जाएगा।

टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर आज तक रिटर्न में सुधार नहीं किया गया, तो आगे चलकर सिर्फ ‘अपडेटेड रिटर्न’ का ही रास्ता बचेगा। यह सुविधा भले ही चार साल तक मिलती है, लेकिन इसकी कीमत बहुत भारी होती है। पहले साल में अतिरिक्त टैक्स का 25%, दूसरे साल में 50% और चौथे साल तक यह पेनाल्टी 70% तक पहुंच सकती है। इसके अलावा ब्याज भी अलग से देना होगा, यानी कुल टैक्स बोझ काफी बढ़ सकता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक करीब 8.5 करोड़ रिटर्न फाइल और वेरीफाई किए जा चुके हैं, जिनमें से लगभग 7.8 करोड़ प्रोसेस हो गए हैं। लेकिन 70 लाख से ज्यादा रिटर्न अभी भी Central Processing Centre में पेंडिंग हैं। इस साल 21 लाख से ज्यादा रिवाइज्ड रिटर्न भी फाइल किए गए हैं। जानकारों का कहना है कि जिन मामलों में रिफंड अटका है, उनमें अक्सर डेटा मिसमैच, डोनेशन क्लेम या अन्य कटौतियों को लेकर विभाग ने सवाल उठाए हैं।

कई करदाताओं के मन में यह डर भी है कि अगर 31 दिसंबर की डेडलाइन निकल गई तो कहीं रिफंड डूब तो नहीं जाएगा। विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि ऐसा नहीं है। यह तारीख सिर्फ रिटर्न में सुधार करने की आखिरी सीमा है, रिफंड मिलने की नहीं। अगर रिटर्न सही है और देरी विभाग की वजह से हो रही है, तो करदाता को रिफंड के साथ ब्याज भी मिलेगा। लेकिन अगर रिटर्न में गड़बड़ी है और समय रहते उसे ठीक नहीं किया गया, तो रिफंड तब तक फ्रीज रह सकता है, जब तक मामला सुलझ नहीं जाता।

मिसमैच अलर्ट को नजरअंदाज करना सबसे खतरनाक साबित हो सकता है। टैक्स सलाहकारों के अनुसार अगर विभाग ने अंतर को लेकर सूचना दी है और करदाता ने उसे अनदेखा किया, तो इसे आय छिपाने का मामला माना जा सकता है। ऐसे में टैक्स चोरी की रकम पर 50% से लेकर 200% तक पेनाल्टी भी लग सकती है, जो एक बड़ी आर्थिक मार साबित हो सकती है।

रिटर्न प्रोसेसिंग को लेकर विभाग के पास भी तय समय होता है। आमतौर पर जिस वित्त वर्ष में रिटर्न फाइल किया जाता है, उसके खत्म होने के बाद नौ महीने तक विभाग को प्रोसेसिंग का अधिकार होता है। हालांकि रिफंड जारी करने की कोई तय समयसीमा नहीं है, लेकिन ज्यादातर मामलों में रिटर्न प्रोसेस होने के एक हफ्ते के भीतर पैसा खाते में आ जाता है। अगर देरी विभाग की गलती से होती है, तो करदाता को हर महीने 0.5% यानी सालाना करीब 6% की दर से ब्याज भी मिलता है।

कुल मिलाकर आज का दिन टैक्सपेयर्स के लिए आखिरी चेतावनी जैसा है। जिनका रिटर्न अभी भी मिसमैच या गलती के साथ है, उनके लिए आज सुधार करना भविष्य में भारी टैक्स और पेनाल्टी से बचने का सबसे आसान मौका है।

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