केंद्र सरकार देश की धीमी पड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को दोबारा पटरी पर लाने के लिए बजट के जरिए बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। सूत्रों के हवाले से सामने आ रही जानकारी के मुताबिक आगामी केंद्रीय बजट में लगभग 25,000 करोड़ रुपये का विशेष रिस्क गारंटी फंड पेश किया जा सकता है। इस पहल का मकसद उन सड़क, बिजली, बंदरगाह, रेलवे और शहरी विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स को गति देना है, जो लंबे समय से फाइनेंसिंग के जोखिम, देरी और बढ़ती लागत के कारण अटके हुए हैं। सरकार मानती है कि जैसे ही फंडिंग की अड़चनें दूर होंगी, निजी निवेश और बैंकिंग सपोर्ट अपने आप लौटने लगेगा।
दरअसल बीते कुछ वर्षों में कई बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं हो पाए। लागत बढ़ी, ब्याज दरें ऊंची रहीं और जोखिम का डर इतना बढ़ा कि बैंक और निवेशक इनसे दूर होते चले गए। इसी ठहराव को तोड़ने के लिए प्रस्तावित रिस्क गारंटी फंड बैंकों के जोखिम का एक हिस्सा अपने ऊपर लेने की भूमिका निभाएगा। इससे शुरुआती चरण में किसी प्रोजेक्ट के फंसने पर पूरा नुकसान अकेले बैंक को नहीं उठाना पड़ेगा और कर्ज देने का भरोसा बढ़ेगा।
बताया जा रहा है कि यह प्रस्ताव National Bank for Financing Infrastructure and Development (NaBFID) के तहत गठित एक समिति ने वित्त मंत्रालय को सौंपा है। इस व्यवस्था में National Credit Guarantee Trustee Company (NCGTC) के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को गारंटी देने की रूपरेखा तैयार की जा सकती है। मॉडल कुछ हद तक उन क्रेडिट गारंटी योजनाओं जैसा होगा, जिनसे छोटे और मझोले कारोबारों को बिना भारी जमानत के कर्ज मिलता है।
सरकार का आकलन है कि इस फंड के लागू होने से बैंक ज्यादा लचीली शर्तों पर कर्ज दे सकेंगे और बड़े पैमाने पर अटकी परियोजनाओं में पूंजी प्रवाह बढ़ेगा। हालांकि गारंटी के बदले परियोजनाओं को एक मामूली शुल्क देना पड़ सकता है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इसका असर ब्याज दरों पर नगण्य होगा। उलटे, कर्ज सस्ता और सुलभ बनने से इंफ्रा सेक्टर में नई जान आएगी।
यह कदम ऐसे समय में प्रस्तावित है, जब सरकार ने 2030 तक भारत को करीब 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अनुमानित 2.2 ट्रिलियन डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की जरूरत होगी। अगर बजट में यह योजना हरी झंडी पाती है, तो इसे निजी निवेश आकर्षित करने और देश की विकास गति तेज करने की दिशा में एक निर्णायक पहल माना जाएगा।