चुनाव कराने वाले ही सही तरीके से मतदान नहीं कर रहे हैं। यह बात तब सामने आई जब तीन चुनावों के पोस्टल बैलेट को एनालिसिस किया गया। 2008 में 34 प्रतिशत कर्मियों के वोट रिजेक्ट कर दिए गए। वहीं 2013 में 17 और 2018 में 16 प्रतिशत वोट रिजेक्ट हुए। इससे यह भी साफ हो रहा है कि सरकारी कर्मचारी मतदान करने में भी लापरवाही कर रहे हैं। चुनाव ड्यूटी या फिर अन्य किसी कारण से मतदान के दिन अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं रहने वाले सरकारी कर्मचारियों का वोटिंग ग्रोथ भी पिछले चुनाव में कम रहा। 2013 से 2018 के बीच यह डेढ़ गुना कम रहा, जबकि 2008 से 2013 के बीच वोटिंग ग्रोथ दोगुना से भी अधिक रहा।
जानकारों का कहना है कि पोस्टल बैलेट से मतदान कम होता है, लेकिन यह सरकारी कर्मचारियों का एक रुझान तो स्पष्ट कर ही देता है। बता दें कि चुनाव आयोग चुनाव ड्यूटी करने वाले, चुनाव में लगे सैनिकों या फिर विदेशों में रहने वाले सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने विधानसभा क्षेत्र में मतदान करने के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा देता है। इस बार चुनाव आयोग ने एक नई व्यवस्था की है कि सरकारी कर्मचारी जहां ड्यूटी में होंगे वहीं वे अपना मतदान पोस्टल बैलेट के माध्यम से कर सकेंगे।
रिजल्ट का पहला रुझान इसी से:
मतों की गिनती के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट की ही गणना की जाती है। इसके नतीजे ही किसी भी विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों के लिए पहला रुझान होता है। चूंकि, पोस्टल बैलेट के 90 फीसदी से अधिक वोटर्स सरकारी कर्मचारी होते हैं। इसलिए पोस्टल बैलेट का रुझान यह बताने में महत्वपूर्ण होता है कि सरकारी कर्मचारियों का रुख सरकार की तरफ है या नहीं। प्रत्याशियों की बढ़त के आधार पर एक अंदाज यह लगाया जा सकता है कि सरकारी योजनाओं, नीतियों और अन्य कारणों से सरकारी सेवकों में सत्ता पक्ष के प्रत्याशियों को लेकर क्या राय है।
दो तरीके से भेजते हैं पोस्टल बैलेट:
- जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है उन्हें ई-पोस्टल बैलेट भेजे जाते हैं। वे ई-वोट से अपना मतदान करते हैं।
- जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं होती या इसके उपयोग में सहज नहीं होते उन तक आयोग डाक से मतपत्र भेजता है।
इस बार बुजुर्ग और दिव्यांग भी:
चुनाव आयोग ने इस साल पोस्टल बैलेट की सुविधा उन लोगों को भी दी है जो 40 प्रतिशत से अधिक विकलांग हैं या 80 साल से अधिक उम्र के हैं। ऐसे लोग संबंधित विधानसभा क्षेत्र में मतदान के कुछ दिन पहले चुनाव आयोग में आवेदन करेंगे। आवेदनों की जांच के बाद रिटर्निंग अफसर संबंधित आवेदनकर्ता के घर पोस्टल बैलेट पहुंचाएगा। वोट के बाद पोस्टल बैलेट को रिटर्निंग अफसर के पास जमा कराना होता है। आयोग के अफसरों के अनुसार पहले चरण के चुनाव के लिए बुजुर्ग और दिव्यांगों ने पोस्टल बैलेट से वोटिंग करना शुरू कर दिया है।