विधानसभा चुनाव में इस बार दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। राष्ट्रीय दलों के बागी उम्मीदवारों और छोटे दलों के चुनावी पैंतरे ने भाजपा- कांग्रेस की पेशानी पर बल ला दिया है। कांग्रेस ने जिन विधायकों का टिकट काटा उनमें से कई अब जोगी कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। इसी तरह भाजपा के कई दावेदारों ने चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरने की घोषणा कर दी है। दूसरी तरफ, बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) गठबंधन के बाद डेढ़ दर्जन सीटों पर भाजपा- कांग्रेस के उम्मीदवारों को सीधी चुनाैती मिल रही है। इनमें से अधिकांश सीटें सरगुजा और बिलासपुर संभाग की हैं।
इसके अलावा हमर राज पार्टी से चुनाव लड़ रहे रिटायर्ड आईपीएस और भानुप्रतापपुर के उम्मीदवार अकबर राम कोर्राम के लड़ने से इस सीट पर स्थिति दूसरी हो गई है। वहीं जोगी कांग्रेस में शामिल हुए सराईपाली से कांग्रेस विधायक किस्मत लाल नंद और लोरमी में कांग्रेस जिलाध्यक्ष सागर सिंह बैस पर भी सबकी नजर है। इन सबके अलावा पंडरिया और कवर्धा में आम आदमी पार्टी भी चुनावी समीकरण बिगाड़ने के लिए पूरा जोर लगा रही है। वैसे तो कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला होता है, लेकिन थर्ड फ्रंट की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। 2018 के चुनाव में जोगी कांग्रेस-बसपा गठबंधन ने बिलासपुर संभाग में कांग्रेस की लहर को कमजोर कर दिया था। तब भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई थी। इसमें भी जोगी कांग्रेस के कारण जहां त्रिकोणीय संघर्ष रहा, वहां भाजपा को सफलता मिली।
इन पर ये बिगाड़ रहे समीकरण:
- जोगी कांग्रेस ने रायगढ़ से मधु किन्नर, मुंगेली से डॉ. सरिता भारद्वाज, महासमुंद से राशि महिलांग, गुंडरदेही से पूर्व विधायक आरके राय को टिकट दिया है।
- कांग्रेस और भाजपा को मात देकर मधु किन्नर रायगढ़ की मेयर बनी थीं। आरके राय कांग्रेस के टिकट से विधायक बने थे। बाद में जोगी कांग्रेस में शामिल हुए। फिर भाजपा में शामिल हो गए थे।
- जांजगीर की पूर्व भाजपा सांसद कमला पाटले की बेटी चांदनी भारद्वाज मस्तूरी से चुनाव मैदान में हैं।
इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के संकेत:
- भरतपुर सोनहत
- मनेंद्रगढ़
- बैकुंठपुर
- प्रेमनगर
- प्रतापपुर
- सारंगढ़
- पालीतानाखार
- मस्तूरी
- पामगढ़
- जैजैपुर
- कोटा
- लोरमी
- अकलतरा
- चंद्रपुर
- खल्लारी
- बिलाईगढ़
- बिंद्रानवागढ़
- पंडरिया
- कवर्धा
- महासमुंद
- रायगढ़
- मुंगेली गुंडरदेही
- जांजगीर
- सराईपाली में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन रही है।
बसपा-गोंगपा गठबंधन पर नजर:
- राज्य बनने के बाद पहली बार 2003 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव हुए। अब तक हुए चार चुनाव में दो बार दो दलों के बीच गठबंधन हुए हैं।
- पहली बार, 2008 में कांग्रेस और एनसीपी के बीच और दूसरी बार 2018 में जोगी कांग्रेस और बसपा के बीच।
- इसमें कांग्रेस व एनसीपी गठबंधन जहां असफल रहा, वहीं बसपा और जोगी कांग्रेस गठबंधन ने सात सीटें जीतकर अपनी धमक दिखाई।
बसपा-गोंगपा के प्रभाव वाली सीटें:
मुंगेली, बिलाईगढ़, आरंग, नवागढ़, बलौदाबाजार, सारंगढ़, बेरला, पामगढ़, मस्तुरी, अभनपुर, अकलतरा, बिल्हा, लोरमी, तखतपुर, भाटापारा, धरसीवा, पाटन, सारंगढ़, बिंद्रानवागढ़, सराईपाली, लैलूंगा, कुनकुरी, रायगढ़ व खरसिया पर खासा असर है।
ये पार्टियां भी चुनावी मैदान में:
भाजपा और कांग्रेस के अलावा प्रदेश में कई छोटी-छोटी पार्टियां भी मैदान में हैं। इनमें आम आदमी पार्टी, शिवसेना, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, हमर राज पार्टी समेत अनेक क्षेत्रीय पार्टियों के साथ कई लोग चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।