आयरन डोम : हमास के साथ युद्ध के बीच इजरायल का आयरन डोम काफी चर्चा में रहा। दरअसल, यह एक बैटरी की सीरीज है जो रडार के इस्तेमाल से शॉर्ट रेंज रॉकेट्स का पता लगाती है और उन्हें खत्म कर देती है।
क्या है आयरन डोम : इजरायल और हमास के युद्ध के बीच भारत ने भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की तैयारियां तेज कर ली हैं। खबर है कि भारत भी अब ‘आयरन डोम’ स्थापित करने की योजना बना रहा है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि देश के कई अहम स्थानों पर 2028-29 तक देशी आयरन डोम तैनात हो जाएगा, जो लड़ाकू विमानों, ड्रोन और मिसाइल जैसे हमलों से रक्षा करेगा। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर सेना या रक्षा मंत्रालय की ओर से कुछ नहीं कहा गया है।
इजरायल के पास है आयरन डोम?
युद्ध के बीच इजरायल का आयरन डोम काफी चर्चा में रहा। दरअसल, यह एक बैटरी की सीरीज है जो रडार के इस्तेमाल से शॉर्ट रेंज रॉकेट्स का पता लगाती है और उन्हें खत्म कर देती है। एपी न्यूज के अनुसार, अमेरिकी डिफेंस कंपनी रेथियोन ने बताया है कि हर बैटरी में तीन या चार लॉन्चर, 20 मिसाइल, एक रडार शामिल है।
कैसे करता है काम?
जैसे ही रडार रॉकेट का पता लगाता है, तो सिस्टम जानकारी जुटाता है कि रॉकेट किसी आबादी वाली इलाके की ओर जा रहा है या नहीं। अगर ऐसा होता है तो सिस्टम मिसाइल लॉन्च करता है और रॉकेट को तबाह कर देता है।
350 किमी तक करेगा मार:
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि ‘प्रोजेक्ट कुशा’ के तहत DRDO नए LR-SAM सिस्टम यानी लॉन्ग रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल को तैयार कर रहा है। बताया जा रहा है कि लॉन्ग रेंज सर्विलांस और फायर कंट्रोल रडार्स वाले मोबाइल LR-SAM में अलग-अलग तरह की इंटरसेप्टर मिसाइलें भी होंगी, जो 150 किमी, 250 किमी और 350 किमी की रेंज तक दुश्मन को हवा में निशाना बना सकती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि इस सिस्टम में दुश्मन को मार गिराए जाने की संभावनाएं 80 फीसदी तक होंगी। वहीं, अगर लगातार फायर किया गया, तो ये संभावनाएं बढ़कर 90 प्रतिशत तक पहुंच जाएंगी। DRDO का कहना है कि LR-SAM सिस्टम लो रडार क्रॉस सेक्शन वाले हाई स्पीड टारगेट्स के खिलाफ ज्यादा असरदार होगा। ये कई संवेदनशील इलाकों को हवाई सुरक्षा देंगे।
रूसी सिस्टम से तुलना:
भारतीय वायुसेना में हाल ही में रूस के S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम को शामिल किया गया है। अब कहा जा रहा है कि भारत के देशी ‘आयरन डोम’ की तुलना भी इससे की जा सकेगी। वायुसेना को उम्मीद है कि S-400 के बचे दो और स्क्वाड्रन्स रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते हुई देरी के बाद अगले एक साल में सेना में शामिल हो जाएंगे।
इस समझौते में शामिल शुरुआती दो स्क्वाड्रन्स को उत्तर पश्चिम और पूर्व भारत में चीन और पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए तैनात किया गया है। खबर है कि LR-SAM भारतीय वायुसेना के इंटीग्रेटेड एयर कमांड और कंट्रोल सिस्टम के साथ मिलकर काम करेगा।