सीजफायर के प्रस्ताव पर भारत ने भी नहीं दिया साथ, ‘इजरैल में हुए अत्याचार का ज़िक्र UN के प्रस्ताव में नहीं’ – नेतान्याहू…

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इजराइल-हमास जंग के बीच जॉर्डन ने UN में मानवीय संकट का हवाला देते हुए सीजफायर की मांग की थी। इसके लिए उसने एक प्रस्ताव भी पेश किया था, जो पास हो गया था। इस प्रस्ताव में इजराइल पर हमास के हमले का कोई जिक्र नहीं था। भारत ने इस रिजॉल्यूशन पर वोटिंग नहीं की थी।

अब इस मामले में इजराइली PM नेतन्याहू की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा- मुझे अफसोस है कि हमारे कई दोस्तों ने भी इस बात को नहीं उठाया कि इस प्रस्ताव में खामियां है। उन्होंने ये नहीं कहा कि इसमें इजराइल में हुए अत्याचार का जिक्र नहीं किया गया। ऐसे अत्याचार को कोई भी सभ्य देश स्वीकार नहीं करेगा। मैं उम्मीद करता हूं कि अब दोबारा इस तरह का प्रस्ताव देखने को नहीं मिलेगा।

नेतन्याहू बोले- 7 अक्टूबर के हमले के बाद ये दुश्मनी खत्म नहीं हो सकती:
नेतन्याहू ने कहा- इजराइल सीजफायर के लिए नहीं मानने वाला है। ये वैसी ही स्थिति जैसी पर्ल हार्बर या 9/11 हमले के वक्त अमेरिका की थी। इस वक्त सीजफायर का मतलब होगा कि हम हमास और आतंक के सामने सरेंडर कर रहे हैं। 7 अक्टूबर के भयानक हमले के बाद इजराइल दुश्मनी खत्म नहीं कर सकता। ये जंग का समय है।

दरअसल, 27 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष बैठक हुई थी। इसमें जॉर्डन ने 22 अरब देशों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव रखा था कि इजराइल-हमास में तुरंत सीजफायर हो। गाजा पट्टी के लोगों के लिए जरूरी चीजों और सेवाओं की सप्लाई फौरन शुरू हो। अवैध रूप से बंधक बनाए गए सभी नागरिकों की रिहाई कर उन्हें उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाया जाए।

इस प्रस्ताव का बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका समेत 120 देशों ने समर्थन किया था। इजराइल, अमेरिका, ऑस्ट्रिया जैसे 14 देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। प्रस्ताव बहुमत के साथ पास हो गया था। भारत समेत 45 देश इस प्रस्ताव पर वोटिंग में शामिल नहीं हुए थे। हालांकि, भारत ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया था जिसमें कनाडा ने पुराने रिजॉल्यूशन में हमास की निंदा का हिस्सा जोड़ा था।

भारत बोला- दुश्मनी से मानवीय संकट बढ़ रहा:
इसके बाद UN में भारत की प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा था- भारत बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था और चल रहे संघर्ष में नागरिकों की लगातार मौत से परेशान है। क्षेत्र में दुश्मनी बढ़ने से मानवीय संकट भी बढ़ेगा। इस वक्त जरूरी है कि सभी पक्ष शांति के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाएं।

एक्सपर्ट बोले- भारत का इजराइल को सशर्त समर्थन:
UN में प्रस्ताव पर भारत के वोटिंग न करने पर जेएनयू के प्रोफेसर डॉ राजन कुमार ने बताया- हम इजराइल को ब्लाइंडली सपोर्ट नहीं कर सकते। हमारा इजराइल को सशर्त समर्थन है। हम इसके समर्थन में भी नहीं हैं कि इजराइल गाजा के लोगों को मारे। यही कारण है कि हमने वहां के लिए राहत सामग्री भेजी है।

डॉ राजन ने बताया- भारत इजराइल और उसके साथी देशों को नाराज नहीं करना चाहता है, लेकिन भारत का पक्ष जस्टिफाइड है। भारत आजादी के लिए उठाए गए हमास के हिंसक कदम का समर्थन नहीं करता।

चीनी कंपनियों के मैप में इजराइल का नाम नहीं:
दूसरी तरफ, चीन की कंपनियों बाइडु और अलीबाब के ऑनलाइन नक्शों से इस्राइल का नाम गायब है। बाइडु के नक्शे में इस्राइल और फिलिस्तीन की सीमाओं को दिखाया गया है लेकिन नक्शे से दोनों का नाम नदारद है।

चीनी भाषा वाले इन नक्शों में लक्जमबर्ग जैसे छोटे देशों का भी नाम है, लेकिन इजराइल का नहीं। इस मामले को लेकर चीन की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। बता दें कि इजराइल फिलिस्तीन मामले में जिनपिंग सरकार ने 2 स्टेट सल्यूशन का समर्थन किया है।

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