ना ना करते हुए आखिरकार सामरी से कांग्रेस विधायक चिंतामणि महाराज बीजेपी में शामिल हो ही गए। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने उन्हें भाजपा में प्रवेश कराया। चिंतामणि महाराज अपने समर्थकों के साथ अंबिकापुर के राजमोहनी भवन में फिर से भाजपा की सदस्यता ली। उन्होंने पहले भाजपा के सामने अंबिकापुर से सिंहदेव के खिलाफ लड़ने की शर्त रखी थी लेकिन अब वे भाजपा प्रत्याशी राजेश अग्रवाल के लिए काम करेंगे !
दरअसल कांग्रेस ने सामरी से विधायक चिंतामणी महाराज की जगह विजय पैकरा को मौका दिया है जिसके बाद चिंतामणी महाराज के तेवर बगावती थे। तब से वे लगातार भाजपा के संपर्क में थे।
हेलीकॉप्टर यात्रा से तय हुई नई दिशा
रविवार को बृजमोहन अग्रवाल हेलीकॉप्टर से कुसमी और श्रीकोट पहुंचे थे। तब चिंतामणि महाराज भी भाजपा के हेलीकॉप्टर से रायपुर से कुसमी आए थे। यहां भाजपा के नेताओं ने उनका स्वागत किया था। दो दिन पहले तक चिंतामणि महाराज ने यह स्पष्ट नहीं किया था कि वे भाजपा में जा रहे हैं।
सांसद का टिकट देने का आश्वासन मिला
भाजपा ने चिंतामणि को अंबिकापुर से भाजपा प्रत्याशी बनाने की शर्त को दरकिनार कर दिया। अंबिकापुर से राजेश अग्रवाल को डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के खिलाफ प्रत्याशी घोषित कर दिया। चिंतामणि के भाजपा प्रवेश की अटकलें इसके बाद भी थी। चिंतामणि ने खुद खुलासा किया था कि भाजपा उन्हें सरगुजा से सांसद का टिकट देने तैयार है।
भाजपा से कांग्रेस में आए थे चिंतामणि
चिंतामणि महाराज करीब 11 साल पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। 2013 में उन्हें कांग्रेस ने लुंड्रा से टिकट दिया था और वे विधायक बने। फिर 2018 में चिंतामणि महाराज को कांग्रेस ने सामरी से प्रत्याशी बनाया और वे दूसरी बार विधायक चुने गए।
रमन सरकार के पहले कार्यकाल में चिंतामणि महाराज 2004 से 2008 तक राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहे। भाजपा से उपेक्षित होने पर उन्होंने 2008 में सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें हार गए थे।
6 विधानसभा सीटों पर सीधे असर
चिंतामणि महाराज पूज्य संत गहिरा गुरू के बेटे हैं। संत समाज के अनुयायी पूरे सरगुजा संभाग और रायगढ़ जिले में भी हैं। हालांकि उनके ज्यादा अनुयायी अंबिकापुर, लुंड्रा, सामरी, जशपुर, कुनकुरी और पत्थलगांव विधानसभा क्षेत्रों में हैं। उनके भाजपा प्रवेश का असर इन 6 विधानसभाओं में देखने का मिल सकता है।