केंद्र सरकार ने पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों शख्सियतों को देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान देने की जानकारी सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरों के साथ शेयर की।
चौधरी चरण सिंह देश के पांचवें और नरसिम्हा राव नौवें प्रधानमंत्री थे। वहीं कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। PM की घोषणा पर चौधरी चरण सिंह के पोते और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के प्रमुख जयंत चौधरी ने लिखा- दिल जीत लिया।
2014 में सत्ता संभालने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा दिया गया यह दसवां भारत रत्न है। इससे पहले 3 फरवरी को भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी और 23 जनवरी को बिहार के पूर्व CM कर्पूरी ठाकुर (मरणोपरांत) को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया।
इस तरह इस साल 5 हस्तियों को यह सम्मान देने का ऐलान हो चुका है। इनके अलावा मोदी के कार्यकाल में मदन मोहन मालवीय, अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को यह सम्मान मिल चुका है। आज की तीन हस्तियों को मिलाकर इस सम्मान को हासिल करने वालों में अब तक कुल 53 लोग शामिल हो चुके हैं।
चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह
23 दिसंबर 1902-29 मई 1987
(पूर्व प्रधानमंत्री)
-चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 में उत्तर प्रदेश मेरठ जिले के नूरपुर में जाट किसान परिवार में हुआ था।
-उन्होंने 1923 में ग्रेजुएशन, 1925 में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। आगरा यूनिवर्सिटी से उन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी कर 1928 में वकालत शुरू की।
-1930 में गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए और हिंडन नदी में नमक बनाया।
-3 अप्रैल 1967 से 17 अप्रैल 1968 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। दोबारा 17 फरवरी 1970 में मुख्यमंत्री बने।
-1979 में वित्त मंत्री और उप-प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की।
-उन्होंने जनता दल की स्थापना की। इसी जनता दल से बाद में बीजू जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), जनता दल (सेक्युलर) और उनके बेटे अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल बने।
-28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वे देश के प्रधानमंत्री रहे। हालांकि, इस दौरान वे कभी भी संसद नहीं
गए।
-चौधरी चरण सिंह अच्छे राइटर थे और अंग्रेजी पर उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने ‘एबॉलिशन ऑफ जमींदारी’, ‘लीजेंड प्रोपराइटरशिप’ और ‘इंडियाज पॉवर्टी एंड इट्स सॉल्यूशंस’ किताबें भी लिखीं।
-29 मई 1987 को उनका निधन हो गया।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा– हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।
पीवी नरसिम्हा राव
पीवी नरसिम्हा राव
29 जून 1921-23 दिसंबर 2004
(पूर्व प्रधानमंत्री)
-पीवी नरसिंह राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में हुआ था। उन्होंने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी, मुंबई यूनिवर्सिटी और नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की।
-आंध्र प्रदेश से उन्होंने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। वे 1957 से 1977 तक आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे।
-वे आंध्र प्रदेश सरकार में 1962 से 64 तक कानून एवं सूचना मंत्री, 1964 से 67 तक कानून मंत्री, 1967 में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री और 1968 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे।
-वे 1971 से 73 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
-1977 से 84 तक लोकसभा के सदस्य रहे। दिसंबर 1984 रामटेक से आठवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
-14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक विदेश मंत्री, 19 जुलाई 1984 से 31 दिसंबर 1984 तक गृह मंत्री और 31 दिसंबर 1984 से 25 सितंबर 1985 तक रक्षा मंत्री रहे। इसके बाद उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री का कार्यभार संभाला।
-20 जून 1991 से 16 मई 1996 तक वे देश के 9वें प्रधानमंत्री रहे।
-नरसिम्हाराव के दौर में ही वित्तमंत्री मनमोहन सिंह
-अर्थव्यवस्था में उदारीकरण लेकर आए।
-नरसिम्हाराव हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, उर्दू, मराठी, गुजराती, उड़िया, अरबी, फारसी, स्पेनिश, बंगाली, फ्रेंच, जर्मन, ग्रीक और लैटिन (18) भाषाएं जानते थे।
-23 दिसंबर 2004 को उनका निधन हो गया।
PM मोदी ने लिखा– प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव गारू का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला।
इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया।
डॉ. एमएस स्वामीनाथन
डॉ. एमएस स्वामीनाथन
7 अगस्त 1925-28 सितंबर 2023
(कृषि वैज्ञानिक)
-मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंबकोणम में हुआ था।
-स्वामीनाथन आनुवांशिक वैज्ञानिक थे, जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक कहा जाता है।
-हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत ज्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज खेतों में लगाए गए थे। इस क्रांति भारत को दुनिया में खाद्यान्न की कमी वाले देश से उबारकर आत्मनिर्भर बना दिया था।
-उन्हें 1971 में सामुदायिक ने तृत्व के लिए मैग्सेसे पुरस्कार, 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस पुरस्कार, 1987 में पहला विश्व खाद्य पुरस्कार और 1989 में यूनेस्को गांधी स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
-डॉ. स्वामीनाथ को 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्मभूषण और 1989 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
-28 सितंबर 2023 को उनका निधन हो गया।
PM मोदी ने लिखा– यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है।
उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं।
डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था।
इनके अलावा कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन को अभी भारत रत्न देने की जानकारी दी गई है।
तीनों शख्सियतों को भारत रत्न मिलने पर किसने क्या कहा…
जयंत चौधरी: मजा आ गया! बहुत बड़ा दिन है, मेरे लिए भावुक पल है, यादगार है। मैं राष्ट्रपति जी, केंद्र सरकार और विशेष तौर पर प्रधानमंत्री मोदी जी को धन्यवाद देता हूं। बहुत बड़ा संदेश पूरे देश में गया है। देश की भावनाएं सरकार के इस फैसले से जुड़ी हुई हैं। पीएम मोदी ने साबित किया है कि वे देश की भावनाओं और चरित्र को बखूबी समझते हैं। NDA में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा- मैं किस मुंह से इनकार करूं। क्या अब कोई कसर बाकी है? मोदी जी ने दिल जीत लिया।
नरसिम्हा राव के पोते एनवी सुभाष: PM मोदी ने पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किया जबकि वे कांग्रेस पार्टी से थे। 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार जब सत्ता में थी, तब उन्हें भारत रत्न तो दूर, कोई पुरस्कार भी नहीं दिया गया। कांग्रेस पार्टी की विफलताओं के लिए नरसिम्हा राव को बलि का बकरा बनाने में गांधी परिवार की बहुत बड़ी भूमिका थी। सुभाष अभी भाजपा में हैं।
डॉ. सौम्या स्वामीनाथन: मुझे यकीन है कि अगर यह खबर मेरे पिता के रहते आती तो उन्हें भी खुशी होती। उन्होंने कभी सम्मान के लिए काम नहीं किया। उन्होंने जमीन पर जो किया, उसके परिणामों से उन्हें अधिक प्रेरणा मिली। सौम्या WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट और DG रह चुकी हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: हम बराबर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ही इस प्रकार के फैसले लेते हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव: चौधरी चरण सिंह के लिए भारत रत्न की मांग समाजवादी पार्टी ने थी।
गृह मंत्री अमित शाह: पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने की घोषणा से अत्यंत प्रसन्नता हुई।
सोनिया गांधी: केंद्र सरकार के फैसले का हम स्वागत करते हैं।
कुछ सामान्य ज्ञान :
भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो कला, साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है। हम भारत रत्न के बारे में बता रहे हैं….
भारत रत्न के तौर पर एक ताम्र पदक दिया जाता है। पीपल के पत्ते के आकार के ताम्र पदक पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना होता है, जिसके नीचे चांदी से भारत रत्न लिखा रहता है।
भारत रत्न पुरस्कार देने की शुरुआत 1954 में हुई थी। अब तक 48 हस्तियों को यह सम्मान दिया जा चुका है।
■ सबसे पहले सी. राजगोपालाचारी, सीवी रमन और एस. राधाकृष्णन को पुरस्कृत किया गया था।
• खिलाड़ियों में सिर्फ सचिन तेंडुलकर को यह पुरस्कार मिला है।
■ विदेशी मूल के तीन लोगों को भी यह सम्मान दिया जा चुका है। इनमें मदर टेरेसा, खान अब्दुल गफ्फार खान
और नेल्सन मंडेला शामिल हैं।
-18 अगस्त 2019 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिया गया था। अब तक पांच राष्ट्रपतियों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है।
• सुभाष चंद्र बोस को मरणोपरांत भारत रत्न देने का ऐलान हुआ था, लेकिन परिजन ने विरोध किया कि जब मृत्यु स्पष्ट नहीं तो मरणोपरांत पुरस्कार क्यों? इसके बाद फैसला वापस लिया गया।
■ मौलाना अबुल कलाम आजाद, नानाजी देशमुख, भूपेन हजारिका, कर्पूरी ठाकुर, पीवी नरसिम्हाराव, चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन समेत 15 लोगों को अब तक मरणोपरांत यह सम्मान दिया जा चुका है।
अब तक 48 शख्सियतों को भारत रत्न मिला:
बाला साहेब ठाकरे और कांशीराम को भी भारत रत्न देने की मांग
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने भी दिवंगत बालासाहेब ठाकरे को भारत रत्न देने की मांग की है। ठाकरे ने कहा- केंद्र सरकार ने पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर राजनीतिक उदारता दिखाई है। बाला साहेब ठाकरे को भी भारत रत्न घोषित किया जाना चाहिए।
देश के एक प्रमुख कार्टूनिस्ट और देशभर के समस्त हिंदुओं की अस्मिता को जागृत करने वाले अद्वितीय नेता इस सम्मान के पात्र हैं। खुद यह मेरे जैसे कई लोगों के लिए उत्साह का क्षण होगा जिन्हें बालासाहेब के विचार विरासत में मिले हैं। शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने भी बाल ठाकरे को भारत रत्न देने की मांग की है।
इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक रहे दिवंगत कांशीराम को भी भारत रत्न देने की मांग की गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा- भाजपा सरकार द्वारा जिन भी हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है] उसका स्वागत है। लेकिन दलित और उपेक्षितों के मसीहा कांशीराम का इनके हितों में किया गया संघर्ष कोई कम नहीं। इसलिए उन्हें भी भारत रत्न दिया जाए।